गंगा कटाव रोकने में केंद्र नहीं कर रहा मदद : मंत्री

राज्य के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री डॉ मानस रंजन भुईयां ने बुधवार को गंगा नदी कटाव के मुद्दे पर केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की विधानसभा में आलोचना करते हुए इसे रोकने के लिए कोई मदद नहीं करने का आरोप लगाया. मंत्री ने सदन में कहा कि मुर्शिदाबाद व मालदा जिले गंगा नदी कटाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

By BIJAY KUMAR | June 11, 2025 11:09 PM
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कोलकाता.

राज्य के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री डॉ मानस रंजन भुईयां ने बुधवार को गंगा नदी कटाव के मुद्दे पर केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की विधानसभा में आलोचना करते हुए इसे रोकने के लिए कोई मदद नहीं करने का आरोप लगाया. मंत्री ने सदन में कहा कि मुर्शिदाबाद व मालदा जिले गंगा नदी कटाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि गंगा नदी कटाव के चलते इन दोनों जिलों में 25,652 बीघा जमीन जल में समा चुकी है. जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं.गंगा नदी के कटाव तथा मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों में सिंचाई और जलमार्ग और जल संसाधन जांच और विकास विभागों की गतिविधियों से संबंधित मामलों पर स्थायी समिति की रिपोर्ट पर विचार के लिए नियम 319 के तहत तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक निर्मल घोष द्वारा लाये गये प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि नदी कटाव से मुर्शिदाबाद व मालदा में कुल 413 गांव प्रभावित हुए हैं. इनमें मालदा के 218, जबकि मुर्शिदाबाद के 195 गांव हैं. उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में जिस तेजी से नदी कटाव हो रहा है. इससे इन जिलों में पूरा भूगोल ही बदल गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस संबंध में केंद्र को बार-बार पत्र लिखने व ध्यान दिलाने के बावजूद वह पूरी तरह से उदासीन है. उन्होंने इस मुद्दे पर राज्य में भाजपा विधायकों की भूमिका की भी आलोचना की. सवाल किया कि गंगा कटाव से इन जिलों में इतनी विकट स्थिति के बावजूद विपक्ष चुप क्यों बैठा है? विपक्षी विधायक इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष क्यों नहीं उठा रहे हैं.

भुइयां ने यह भी दावा किया कि केंद्र ने दिसंबर, 2013 से गंगा-पद्मा नदी कटाव समेत कई परियोजनाओं के लिए बंगाल को मिलने वाले 4,549 करोड़ रुपये रोक कर रखा. उन्होंने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत केंद्र पर बंगाल को जान-बूझकर वंचित करने का आरोप लगाया. मंत्री ने कहा कि घाटाल मास्टर प्लान के लिए बार-बार अनुरोध के बावजूद केंद्र ने कोई ध्यान नहीं दिया और न ही कोई पैसा दिया. इसलिए राज्य सरकार ने अपने फंड से इस परियोजना को लागू करने का फैसला किया है.मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण सुंदरबन खतरे में है. इसे बचाने के लिए विश्व बैंक ने राज्य को ऋण के रूप में 4,100 करोड़ रुपये की अपर और लोअर डेल्टा परियोजनाओं की मंजूरी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस फंड के लिए केंद्र ने अब तक अपनी सहमति नहीं दी है, जिससे बंगाल को विश्व बैंक से ये रुपये नहीं मिल पा रहे हैं.

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