बांग्लादेश निर्वासित बंगाली प्रवासियों के परिवार अनिश्चितता के साये में
बीरभूम जिले के मुस्लिम बहुल मुरारई विधानसभा क्षेत्र के पैकर गांव की दोरजीपाड़ा बस्ती में 60 वर्षीय भोदू शेख की आंखों में भविष्य को लेकर अनिश्चितता है. भोदू की बेटी सोनाली और पांच वर्षीय नाती साबिर को दामाद दानेश के साथ पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने रोहिणी के सेक्टर 26 स्थित बंगाली बस्ती से उठा लिया था और बांग्लादेश भेज दिया था.
By BIJAY KUMAR | July 30, 2025 11:19 PM
मुरारई.
बीरभूम जिले के मुस्लिम बहुल मुरारई विधानसभा क्षेत्र के पैकर गांव की दोरजीपाड़ा बस्ती में 60 वर्षीय भोदू शेख की आंखों में भविष्य को लेकर अनिश्चितता है. भोदू की बेटी सोनाली और पांच वर्षीय नाती साबिर को दामाद दानेश के साथ पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने रोहिणी के सेक्टर 26 स्थित बंगाली बस्ती से उठा लिया था और बांग्लादेश भेज दिया था. दिल्ली पुलिस ने बताया था कि विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के आदेश के बाद उन्हें निर्वासित किया गया था. भोदू ने बताया कि यह परिवार लगभग 25 वर्षों से दिल्ली में रह रहा था, जहां दानेश कूड़ा-कचरा बीनने का काम करता था. उन्होंने आरोप लगाया कि बस्ती के सैकड़ों अन्य निवासियों के साथ उन्हें भी इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे बांग्ला बोलते थे और उन्हें बांग्लादेशी कहे जाने का सबसे ज्यादा खतरा था. भोदू ने दावा किया, ‘मैं इसी गांव में पैदा हुआ था, और मेरी बेटी भी. मेरा नाती दिल्ली में पैदा हुआ.’ सोनाली के भाई सूरज शेख ने आरोप लगाया कि उन्होंने एक वकील को 30,000 रुपये दिये थे, जिसने उनकी बहन और उसके परिवार को रिहा करवाने का वादा किया, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया है.
आमिर ने आरोप लगाया कि उनकी बहन स्वीटी बीबी और उनके दो बेटों कुर्बान शेख (16) और इमाम दीवान (6) को दिल्ली पुलिस ने सोनाली के पड़ोस से ही हिरासत में लिया और फिर 27 जून को बांग्लादेश भेज दिया.
उन्होंने कहा, “इस तर्क से तो कोलकाता में हर बंगाली भाषी नागरिक को गिरफ्तार कर लेना चाहिए. लगता है अब हमें अंग्रेजी बोलना सीखना ही होगा. “
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