नबान्न अभियान आज. अनुमति नहीं मिलने के बावजूद संग्रामी संयुक्त मंच अडिग मंच के भास्कर घोष ने कहा : आंदोलन हर हाल में होगा, पुलिस ने रोका, तो करेंगे धरना-प्रदर्शन हावड़ा. सोमवार को प्रस्तावित नबान्न अभियान को लेकर राज्य में तनावपूर्ण स्थिति बनती जा रही है. कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा आंदोलन की अनुमति न दिये जाने और हावड़ा सिटी पुलिस द्वारा कड़ा रुख अपनाये जाने के बावजूद संग्रामी संयुक्त मंच और उससे जुड़े संगठनों ने अभियान जारी रखने का एलान किया है. मंच के संयोजक भास्कर घोष ने कहा कि आंदोलन हर हाल में होगा और यदि पुलिस ने उन्हें रोका, तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे. उनका आरोप है कि राज्य सरकार और पुलिस ने रूट मैप को लेकर हाइकोर्ट को गुमराह किया है. घोष ने कहा : हमने जो रूट मैप दिया था, उसे तोड़-मरोड़ कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है. यह लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने की कोशिश है, जिसे हम सफल नहीं होने देंगे. सुरक्षा के कड़े इंतजाम: पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया है. खासतौर पर रामकृष्णपुर घाट (फोरशोर रोड) इलाके में लोहे की बीम और बैरिकेडिंग का काम तेजी से चल रहा है, ताकि किसी भी हालत में प्रदर्शनकारी नबान्न की ओर न बढ़ सकें. मुख्यमंत्री के दौरे का समय भी अहम: उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 28 और 29 जुलाई को बीरभूम दौरे पर रहेंगी. ऐसे में आंदोलन के चलते राज्य सरकार की चिंता और बढ़ गयी है, क्योंकि किसी भी अप्रिय स्थिति का असर मुख्यमंत्री के दौरे पर भी पड़ सकता है. मंच का रुख स्पष्ट : भास्कर घोष ने कहा : अगर हमें रोका गया, तो हम वहीं धरने पर बैठेंगे. जब तक मुख्यमंत्री हमसे बातचीत नहीं करतीं, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. यह कोई साधारण अभियान नहीं है, बल्कि यह 26 हजार परिवारों के भविष्य की लड़ाई है. इस मामले में कोई समझौता नहीं होगा. पुलिस को आंदोलन रोकने का अधिकार : हाइकोर्ट कुछ दिन पहले मंगलाहाट व्यवसाय समिति ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सोमवार और मंगलवार को होने वाले आंदोलनों से व्यापार को बड़ा नुकसान होता है. इस पर हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि यदि आंदोलन होता है, तो पुलिस को इसे रोकने का अधिकार होगा. इस आदेश के बाद हावड़ा सिटी पुलिस कमिश्नर प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 28 जुलाई को नबान्न अभियान की अनुमति नहीं दी गयी है और अगर भीड़ जुटती है या कानून-व्यवस्था बिगड़ती है, तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी. क्या है मामला इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के लगभग 26 हजार शिक्षक व शिक्षाकर्मियों को नौकरी से हटाया गया. इन शिक्षकों के समर्थन में संग्रामी संयुक्त मंच ने सरकार के खिलाफ नबान्न अभियान छेड़ने का निर्णय लिया. उनका कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि जनहित और अधिकारों की लड़ाई है.
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