प्रवेश को लेकर अनिश्चितता के बीच काउंसलिंग का रखा प्रस्ताव

एसोसिएशन ने बताया कि ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण को लेकर चल रहे कानूनी विवाद के कारण बंगाल जेईई 2025 के नतीजे स्थगित किये जा रहे हैं.

By GANESH MAHTO | July 24, 2025 1:33 AM
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कोलकाता. हाल ही में जादवपुर यूनिवर्सिटी के संकाय सदस्यों ने प्रवेश संबंधी अनिश्चितता के बीच अलग काउंसलिंग का प्रस्ताव रखा है. पश्चिम बंगाल में इंजीनियरिंग प्रवेश को लेकर अस्पष्टता के कारण यह निर्णय लिया गया है. छात्रों, अभिभावकों और अन्य लोगों को लिखे एक खुले पत्र में जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) ने इस बात पर चिंता जतायी कि इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया में देरी के कारण प्रतिभाएं भारी फीस वाले निजी कॉलेजों का रूख कर रही हैं या अन्य राज्य के शैक्षणिक संस्थानों का रुख कर रही हैं, जिससे स्थानीय सरकारी संस्थानों को भारी नुकसान हो रहा है. एसोसिएशन ने बताया कि ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण को लेकर चल रहे कानूनी विवाद के कारण बंगाल जेईई 2025 के नतीजे स्थगित किये जा रहे हैं. चूंकि, राज्य शिक्षा विभाग के अनिर्णय के कारण पश्चिम बंगाल जेईई बोर्ड परिणाम जारी नहीं कर रहा है, इसलिए सामान्य डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पहले से विलंबित स्नातक प्रवेश प्रक्रिया ””””किसी तरह”””” शुरू कर दी है. जेयूटीए के सदस्यों ने सवाल किया है कि इस विफलता की ज़िम्मेदारी कौन लेगा. जेईई के नतीजों की घोषणा में अनिश्चित देरी के कारण, राज्य के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षक यह देखकर निराश हैं कि कुछ निजी संस्थानों ने बिना किसी हरी झंडी के ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस असमानता के कारण, इंजीनियरिंग के इच्छुक छात्र, तनाव में हैं और अत्यधिक फीस देकर निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश ले रहे हैं. शिक्षकों ने पूछा, “सवाल यह है कि प्रवेश में इस दोहरेपन का कारण क्या है? निजी शिक्षण संस्थानों को यह अनैतिक लाभ देकर किसके हितों की रक्षा की जा रही है? पश्चिम बंगाल से प्रतिभाएं पलायन हो रही हैं, यह एक अलग मुद्दा है. छात्र भी भारी नुकसान में हैं क्योंकि उन्हें किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले सरकारी संस्थानों के बाहर दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. जेयूटीए ने दावा किया कि इस अस्थिरता और अनिश्चितता से सबसे ज्यादा क्षति छात्रों की हो रही है. राज्य सरकार को इस संबंध में स्पष्ट पहल करनी चाहिए.

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