रिसड़ा: अपने घर लौटे बीएसएफ जवान पूर्णम साव, हुआ जोरदार स्वागत

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार साव शुक्रवार को रिसड़ा स्थित अपने घर लौट आये. इस दौरान उनका जोरदार स्वागत हुआ.

By AKHILESH KUMAR SINGH | May 24, 2025 1:07 AM
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प्रतिनिधि, हुगली सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार साव शुक्रवार को रिसड़ा स्थित अपने घर लौट आये. इस दौरान उनका जोरदार स्वागत हुआ. पूरे शहर में उत्सव जैसा माहौल था. ‘साव सदन’ के सामने फूलों की मालाएं, एलइडी की रौशनी और शुद्ध शाकाहारी व्यंजनों की खुशबू के बीच माहौल को और भावुक व देशभक्ति से भरपूर बना दिया वहां गूंज रहे 1997 में बनी सुपरहिट फिल्म ”बॉर्डर” के प्रसिद्ध गीत ने. जैसे ही पूर्णम अपने घर पहुंचे, आसपास की गलियों में ‘संदेशे आते हैं…’, ‘मेरे दुश्मन मेरे भाई…’, ‘घर चला जा सिपाही…’ जैसे गीतों की स्वर लहरियां हवा में घुल गयीं. युवाओं ने पूरे मोहल्ले में स्पीकर लगाकर देशभक्ति गीतों को लगातार बजाना शुरू कर दिया. गीतों की धुन पर न केवल बच्चे झूमते नजर आये, बल्कि बुजुर्गों की आंखें भी भर आयीं. गौरतलब है कि पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनाती के दौरान पूर्णम अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गये. वहां पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया. उच्च स्तर पर बातचीत के बाद पूर्णम को 21 दिनों बाद पाकिस्तान ने भारत को सौंप दिया. पूर्णम 14 मई की शाम को अटारी-वाघा सीमा के रास्ते भारत लौटे थे. ‘संदेशे आते हैं…’ गीत जब बजा, तो माहौल इतना भावुक हो गया कि पूर्णम की मां देवंती देवी फूट-फूटकर रो पड़ीं और बेटे को गले लगा लिया. पत्नी रजनी साव ने कहा: हर शब्द जैसे हमारे दिल की बात कह रहा है. जब ये गाना बजता था, तो मेरी आंखों से आंसू बहते थे, लेकिन आज यही गीत खुशी के आंसुओं का कारण है.नगरपालिका की ओर से लगाये गये स्वागत पोस्टर और मुख्य चौक पर लगे बड़े साउंड सिस्टम से ‘बॉर्डर’ के गीतों ने माहौल को ऐसा रंग दिया, जैसे रिसड़ा कोई युद्ध से जीतकर लौटा नगर बन गया हो. ‘साव सदन’ के सामने युवाओं ने हाथ में तिरंगा लेकर ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाये. ये गीत सिर्फ गाने नहीं थे, बल्कि वे भावनाएं थीं, जो हर उस सैनिक के साथ देश जुड़ता है, जो सीमा पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर रहता है. पूर्णम साव की सकुशल वापसी पर इन गीतों ने हर दिल को छू लिया और हर आंख नम कर दी. शहरवासियों का कहना है कि जब भी इतिहास में लिखा जायेगा कि एक सिपाही कैसे अकेले पाकिस्तान की गिरफ्त में रहकर भी देश का मान बनाए रखा, तब रिसड़ा का यह दिन भी याद रखा जायेगा.

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