पहलगाम आतंकी हमले में मारे गये पश्चिम बंगाल के तीन पर्यटकों और उधमपुर में शहीद हुए एक सैनिक के ताबूत कश्मीर से लाये जाने के बाद प्रदेश में न केवल शोक की लहर है, बल्कि इसने धर्म, राजनीति और भावनाओं को एक साथ उद्वेलित कर दिया और ध्रुवीकरण बढ़ाया है. इस तरह यह राज्य की अस्मिता की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है. राज्य विधानसभा चुनाव (2026) के लिए साल भर से भी कम समय बचे होने के बीच, इन घटनाओं ने सियासी पारा चढ़ा दिया. इसके भावनात्मक रूप लेने की संभावना है, जिसके इर्द-गिर्द चुनावी रणनीतियां देखने को मिल सकती हैं.
चौथा ताबूत उधमपुर में एक अलग हमले में जान गंवाने वाले नदिया के सैनिक झंटू अली शेख का है. इसने भावनात्मक और राजनीतिक विमर्श को और अधिक जटिल बना दिया है, क्योंकि शहादत और आतंकवाद को अब सांप्रदायिक चश्मे से देखा जाने लगा है. हमलों के बाद धार्मिक अस्मिता के आह्वान ने बंगाल की राजनीति में बदलाव का संकेत दिया है, जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह भाजपा की ‘विचारधारा को आगे बढ़ाने’ और तृणमूल कांग्रेस की ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ के साथ जुड़ा हुआ है.
बुधवार शाम कोलकाता हवाई अड्डा पर जो कुछ देखने को मिला, वह स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करती है. ताबूत लाये जाने पर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेताओं का एक समूह कार्गो टर्मिनल पर काफी भावुक नजर आया. श्री अधिकारी ने कहा था : वे मारे गये क्योंकि वे हिंदू थे. उन्होंने बितान की पत्नी से घटना के बारे में बताने का आग्रह किया. हालांकि, हवाई अड्डे पर मौजूद फिरहाद हकीम और अरुप विश्वास सहित तृणमूल कांग्रेस नेता भाजपा नेताओं की इस गतिविधि से चकित नजर आये. विश्वास ने बितान के परिवार से मुलाकात की और हकीम एक अन्य मृतक के घर गये.
वोट बैंक की राजनीति करती है तृणमूल : भाजपा
हालांकि, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता केया घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस एक आतंकी हमले को सैनिक की मौत के समान बताने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में, मुर्शिदाबाद दंगों की तरह ही हिंदुओं से उनका धर्म पूछने के बाद इस्लामी आतंकवादियों ने मार डाला. शेख की मौत घात लगा कर किये गये हमले में हुई. दोनों एक जैसे नहीं हैं. इस्लामी आतंकवाद एक वास्तविकता है. जितनी जल्दी हम इसे स्वीकार कर लें, उतना ही बेहतर होगा. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा : बंगाल के हिंदू जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए जिहादियों और कट्टरपंथियों की मदद करती है. इस टिप्पणी ने गहरे वैचारिक टकराव को सामने ला दिया. एक ओर जहां भाजपा धार्मिक पहचान के चश्मे से हत्याओं को दिखाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय बलिदान के व्यापक विचार पर जोर देकर उस विमर्श को कमजोर करने का प्रयास कर रही है.
पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सुरक्षा और खुफिया तंत्र की विफलता का नतीजा : तृणमूल
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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
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