हुगली. बलरामबाटी इलाके में रविवार की सुबह भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, जब 25 साल पहले काम की तलाश में लापता हुआ एक नाबालिग अचानक अपने घर लौट आया. अब 37 साल के हो चुके समर घोष की वापसी ने पूरे मोहल्ले को चौंकाने के साथ-साथ भावुक भी कर दिया. स्थानीय लोगों के अनुसार, जब समर महज 12 साल का था, तब इलाके के ही एक स्थानीय स्वर्णकार ने उसे और एक अन्य नाबालिग को काम दिलाने के बहाने जयपुर ले गया था. पहले दो वर्षों तक परिवार से उसका संपर्क बना रहा, लेकिन उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला. स्वर्णकार ने बताया था कि वह जयपुर में ठीक है, लेकिन कोई ठोस जानकारी कभी नहीं दी. अंततः परिवार ने मान लिया था कि समर शायद अब कभी लौटकर नहीं आयेगा. रविवार की सुबह, जब समर अचानक घर के सामने खड़ा दिखा, तो पूरे परिवार और मोहल्ले में भावनाओं की बाढ़ आ गयी. पहचान की पुष्टि के बाद हर आंख नम हो उठी. समर ने बताया कि जयपुर में उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था. एक समय उसे एक होटल में काम मिला, जहां दिन-रात मेहनत करने पर सिर्फ खाना मिलता था- कोई वेतन नहीं1 वर्षों तक इधर-उधर भटकते हुए, उसने किसी तरह 1000 रुपये जमा किये और हावड़ा तक का सफर तय किया. वहां से पूछते-पूछते वह बलरामबाटी लौट आया. समर अब बांग्ला बोलना भूल चुका है और सिर्फ हिंदी में बात करता है. उसने स्पष्ट किया कि अब वह कहीं बाहर नहीं जाना चाहता, बल्कि यहीं रहकर कोई छोटा-मोटा काम कर शांति से जीवन बिताना चाहता है.
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