केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी मंत्री, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शनिवार को महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्य सरकार से राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) में मछुआरों के पंजीकरण में तेजी लाने का आग्रह किया. शनिवार को महानगर में आयोजित मत्स्य पालन विभाग की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य के 32 लाख मत्स्य पालकों में से केवल एक अंश ही वर्तमान में पंजीकृत है, जिससे प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाइ) जैसी योजनाओं के तहत केंद्रीय लाभों तक उनकी पहुंच में बाधा आ रही है.
उल्लेखनीय है कि महानगर में आयोजित क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में चार पूर्वी भारत के राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में प्रमुख मत्स्य पालन योजनाओं की प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस सत्र का उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाइ), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआइडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और पीएम-एमकेएसएसवाइ के जमीनी कार्यान्वयन का आकलन करना और क्षेत्र में बेहतर परिणामों के लिए एक रोडमैप तैयार करना था.
रोजगार व निर्यात बढ़ाने के लिए शुष्क मछली क्लस्टर की स्थापना करने का प्रस्ताव
समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने राज्य में अंतर्देशीय मत्स्य पालन की अप्रयुक्त क्षमता पर जोर दिया और पारंपरिक जल निकायों या तालाबों के बेहतर उपयोग, मछुआरों के लिए सहकारी संरचनाओं के विकास और एक मजबूत प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का आह्वान किया. स्थानीय रोजगार और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम बंगाल में एक विकसित शुष्क मछली क्लस्टर की स्थापना जैसी योजनाओं को क्रियान्वित करने का प्रस्ताव दिया. नयी तकनीकों पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए नयी तकनीकें, बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं और कृत्रिम रीफ जैसी पहलों का पुनरुद्धार आवश्यक है. उन्होंने घोषणा की कि भारत वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है, जहां मछली उत्पादन में 104 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले दशक में अंतर्देशीय मछली उत्पादन में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
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