कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की सभी पंचायतों को अपनी आय का कम से कम 50 प्रतिशत आम लोगों के समाज कल्याण की परियोजनाओं पर खर्च करने का निर्देश दिया है. सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो सरकारी अनुदान और प्रोत्साहन वित्तीय सहायता बंद कर दी जायेगी. राज्य सरकार ग्रामीण विकास के लिए पंचायतों को हर साल बड़ी धनराशि आवंटित करती है, जिसे बांग्लार बाड़ी, कर्मश्री और सड़क निर्माण जैसी विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च किया जाता है. इसके अतिरिक्त, पंचायतों को अपने क्षेत्र में हाट, बाजार, मकान किराया, ट्रेड लाइसेंस, संपत्ति कर आदि से भी आमदनी होती है. अब तक इस आय को बुनियादी ढांचे के विकास पर कितना खर्च करना है, इसके बारे में कोई विशेष नियम नहीं था. इस बार, राज्य सरकार ने इसे लेकर नया नियम बना दिया है. नवान्न (राज्य सचिवालय) द्वारा सूचित किया गया है कि पंचायतों को अपनी आय का आधा हिस्सा जनकल्याण पर खर्च करना होगा. ऐसा न करने पर, परफॉरमेंस ग्रांट (राज्य द्वारा काम के आधार पर दिया जाने वाला अतिरिक्त पैसा) नहीं मिलेगा. इसके साथ ही, केंद्र और राज्य की कई परियोजनाओं के लिए मिलने वाला अनुदान भी रुक सकता है. पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा सेवाएं प्रदान करना है. उन्होंने बताया कि जब केंद्र ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए पैसा भेजना बंद कर दिया है, तो राज्य सरकार अपने दम पर ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना चाहती है. इसलिए, पंचायतों को अपनी आय का उपयोग जनकल्याण के लिए करने के लिए कहा गया है.
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