मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष शक्ति का उपयोग कर सुनाया फैसला
कहा : जब पीड़िता ने ही इसे अपराध नहीं माना तो आरोपी को सजा क्यों दी जाये
14 वर्ष की नाबालिग ने अपनी मर्जी से 25 वर्षीय युवक से की थी शादी
संवाददाता, कोलकाता
क्या है मामला: 2012 में 14 साल की एक लड़की ने अपनी मर्जी से 25 साल के युवक से शादी की थी. बाद में लड़की की मां ने युवक पर अपहरण और दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया और निचली अदालत ने युवक को 2022 में 20 साल की सजा सुनायी. इसे लेकर युवक की पत्नी ने पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला किया. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता को सबसे ज्यादा चोट खुद कानून, समाज और अपने परिवार से मिली. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति का प्रयोग कर दोषी की सजा रद्द कर दी. कोर्ट ने कहा कि जब घटना हुई तब लड़की को स्वतंत्र निर्णय का कोई मौका नहीं मिला क्योंकि उसे परिवार, समाज और कानून ने पहले ही दोषी ठहरा दिया था.
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