बोले अरूप राहा आतंकी हमले से आम आदमी ही नहीं, सेना के पूर्व जवानों में भी है नाराजगी वायुसेना के पूर्व प्रमुख बोले: यह जरूरी है कि भारतीय सशस्त्र बल फिर से वैसे हमले करें, ताकि हमारे दुश्मनों को पता चले कि उनका किससे पाला पड़ा है एजेंसी, कोलकाता वायुसेना के पूर्व प्रमुख अरूप राहा ने पहलगाम हत्याकांड के मद्देनजर ”पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों” के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की बात कही और उरी व पुलवामा हमलों के बाद किये गये हमलों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने इस ”मिथक” को तोड़ दिया है कि दो परमाणु शक्ति संपन्न देश युद्ध नहीं लड़ सकते. उरी हमले के बाद कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में आतंकवादी ठिकानों पर सेना की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और पुलवामा में सुरक्षाकर्मियों के काफिले पर हमले के बाद बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले का जिक्र करते हुए सेवानिवृत्त एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारत ने “आतंकवाद के अपराधियों को दंडित करने के मामले में अतीत में अच्छा काम किया है. ” राहा ने कहा, “यह जरूरी है कि भारतीय सशस्त्र बल फिर से वैसे हमले करें, ताकि हमारे दुश्मनों को पता चले कि उनका किससे पाला पड़ा है. यह समय की मांग है. “उन्होंने कहा, “ऐसी कार्रवाइयां कैसे और कब होंगी, मैं यह बताने की स्थिति में नहीं हूं. लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि हमने बालाकोट और उरी में पहले भी ऐसा किया है. हम ऐसा करने के आदी हैं और हम फिर से ऐसा कर सकते हैं. भारत ने पहले ही इस मिथक को तोड़ दिया है कि एक परमाणु शक्ति संपन्न देश दूसरे मुल्क पर सैन्य बल का प्रयोग नहीं कर सकता. ” पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने, पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों और वीजा धारक नागरिकों को देश से निष्कासित करने, अटारी एकीकृत जांच चौकी को सील करने और 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले के एक दिन बाद राहा ने यह टिप्पणी की है. यह कदम कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में उठाया गया है, जिसमें कम से कम 28 लोगों की मौत हो गयी है. राहा ने कहा, “पाकिस्तान की सेना में कोई शर्म नहीं बची है. ” उन्होंने कहा, “उस देश को 1971 के अपने कुकृत्यों के परिणामस्वरूप 93,000 युद्धबंदियों को आत्मसमर्पण करने का अपमान सहना पड़ा. वह देश अब हताश है और लगभग हर देश के सामने भीख का कटोरा फैला रहा है. ऐसे समय में, पाकिस्तानी सेना इस तरह के आतंकवादी कृत्यों को बढ़ावा देकर अपने मंसूबों में नयी जान फूंकने की कोशिश कर रही है. ” यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें पक्के तौर पर ऐसा लगता है कि पहलगाम नरसंहार में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों का हाथ है, तो राहा ने जवाब दिया, “क्या आपको इस पर कोई संदेह है? ” उन्होंने भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए. राहा ने कहा, “भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए खुफिया जानकारी ही एकमात्र साधन है. प्रौद्योगिकी के माध्यम से एकत्रित खुफिया जानकारी पर कार्रवाई से पहले कई स्रोतों से पुष्टि की जानी चाहिए. ऐसी स्थिति में मानवीय खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ” उन्होंने कहा, “हमने अतीत में खुफिया विफलताओं के कारण नुकसान उठाया है. हम अब भी नुकसान उठा रहे हैं. ” उन्होंने संकेत दिया कि पहलगाम हमले को रोकने में खुफिया चूक की भूमिका रही होगी.
संबंधित खबर
और खबरें