मरीजों का करते हैं नि:शुल्क इलाज

मेडिकल साइंस के इस युग में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं.

By AKHILESH KUMAR SINGH | July 1, 2025 2:27 AM
feature

समाज सेवा के कारण नहीं कर पाते हैं प्राइवेट प्रैक्टिस

संवाददाता, कोलकाता

मेडिकल साइंस के इस युग में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. एमबीबीएस करनेवाले हर छात्र प्राइवेट प्रैक्टिस की चाह रखते हैं. खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं, पर आज के इस दौर में पश्चिम बंगाल में एक ऐसे भी चिकित्सक हैं, जो खुद को पैसा कमाने की होड़ से खुद को दूर रखते हैं. यह चिकित्सक आज भी अपने आवास पर फीस लिए बगैर अपने आवास पर मरीजों का इलाज करते हैं. आपको बता दे कि यहां हम डॉ सपन विश्वास की बात कर रहे हैं. डॉ सपन विश्वास एनआरएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. 1992 में उनका एडमिशन हुआ था 1997 में एमबीबीएस को पूरा किया. इसके बाद उन्होंने शंभू नाथ पंडित और एनआरएस अस्पताल में हाउस स्टॉफ के तौर पर कार्य किया. 2004 में डॉ विश्वास सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े. 2004 से 2008 तक उन्होंने मालदा जिला के एक ब्लॉक अस्पताल से जुड़े रहे. इसके बाद करीब सात वर्षों तक दक्षिण 24 परगना के कुलतली में मरीज की चिकित्सा की. यानी करीब 11 वर्षों तक डॉ विश्वास ग्रामीण अस्पतालों में कार्य किये. आज के दौर में युवा चिकित्सक ग्रामीण अस्पताल में कार्य करने से कतराते हैं. वहीं डॉ सपन विश्वास 11 वर्षों तक ग्रामीण क्षेत्र में रह कर मरीजों का इलाज किया. अब वह उत्तर 24 परगना जिले में स्थित भाटपाड़ा स्टेट जनरल अस्पताल में 2015 से जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (जीडीएमओ) के पद पर कार्यरत हैं.

नहीं करते प्राइवेट प्रैक्टिस :डॉ विश्वास ने बताया कि सरकारी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक यदि प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं तो उन्हें नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) मिलता है. पर ऐसे कई चिकित्सक है जो अवैध तरीके से इस भत्ता को भी ले रहे हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह एनपीए लेते हैं इसलिए प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने घर पर कुछ मरीज को देखते हैं. पर इलाज के बदले फीस नहीं लेते हैं. नि:शुल्क मरीजों का इलाज करते हैं.

समाज सेवा से भी जुड़े: डॉ विश्वास चिकित्सक होने के साथ वह एक समाज सेवक भी हैं. वह सर्विस डॉक्टर फोरम और मेडिकल सर्विस सेंटर से जुड़े हुए हैं. दोनों हगी चिकित्सक संगठन के जरिए वे हजारों मरीजों का नि:शुल्क इलाज करते हैं. 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आये बाढ़ के दैरान उन्होंने 10-12 दिन रह कर प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगा कर पीड़िता का इलाज किया था. 2014 में कश्मीर में आयी बाढ़ और 2015 में नेपाल में आये भूकंप के बाद मेडिकल कैंप लगा कर पीड़िता का इलाज किये थे. डॉ विश्वास बताते हैं कि इस तरह के कैंप लगाने के लिए उन्हें सह अन्य चिकित्सकों को अस्पताल से छुट्टी लेकर सेवा कार्य में जुड़ाना पड़ता है. वह बताते है कि समाज सेवा कार्य के करने की वजह से वह प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अधिक पैसा कमाने की चाह नहीं है. उन्हें जितना वेतन मिलता है उसी से वह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. डॉ विश्वास के अन्य दो भाई भी चिकित्सक हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

 

 

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version