कोलकाता. विधानसभा का मॉनसून सत्र नौ जून से शुरू होने जा रहा है. इस बार का सत्र राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस सत्र में राज्यपाल द्वारा विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित रखने के खिलाफ संविधान संशोधन प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है. सूत्रों के अनुसार, तृणमूल सरकार इस प्रस्ताव को सत्र के आरंभ में ही विधानसभा में प्रस्तुत कर सकती है. इसका उद्देश्य उन विधेयकों को कानून का दर्जा दिलाना है, जो राज्यपाल की मंजूरी के अभाव में अटके हुए हैं. विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने बताया कि अगर विधानसभा कोई निश्चित समय-सीमा तय करना चाहती है, तो इसके लिए संविधान में संशोधन आवश्यक होगा. स्पीकर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला सभी पक्षों की राय से सुलझाया जायेगा. उनका कहना है : हम इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. अगर सभी लोग मिलकर चर्चा करेंगे, तो इसका हल निकलेगा. तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विधानसभा द्वारा पारित कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर रोक लगा दी है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. बताया जा रहा है कि राजभवन में फिलहाल 18 विधेयक लंबित हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन से जुड़े अहम प्रस्ताव शामिल हैं. इस विवाद के बीच हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला आया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि न तो राज्यपाल और न ही राष्ट्रपति विधानसभा या विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित रख सकते हैं. यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायिक हस्तक्षेप के अंतर्गत दिया गया है, जिसका उद्देश्य न्याय की स्थापना है. तृणमूल सरकार इसी फैसले को आधार बनाकर संविधान में ऐसा संशोधन लाना चाहती है, जिससे विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल को एक निश्चित समय-सीमा में कार्रवाई करनी पड़े. संशोधन प्रस्ताव को विधानसभा में पारित करने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जायेगा.
संबंधित खबर
और खबरें