Home Badi Khabar तपकारा गोलीकांड के 20 वर्ष बीते, पर यादें अब भी है ताजा, जानें पूरा मामला

तपकारा गोलीकांड के 20 वर्ष बीते, पर यादें अब भी है ताजा, जानें पूरा मामला

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तपकारा गोलीकांड के 20 वर्ष बीते, पर यादें अब भी है ताजा, जानें पूरा मामला

Jharkhand News, Khunti News, तोरपा (सतीश शर्मा) : 2 फरवरी, 2001 की तारीख झारखंड के खूंटी जिला अंतर्गत तपकारा के इतिहास में काला अध्याय के रूप में जुड़ गया है. इस दिन तपकारा गोलीकांड की घटना घटी थी, जिसमें 8 आंदोलकारी पुलिस की गोलियों का शिकार हो अपनी जान गंवा दी थी. एक पुलिसकर्मी जलेश्वर राम की भी मौत हुई थी, जिसका शव घटना के दूसरे दिन जली हुई अवस्था में मिली थी. इस घटना को बीते हुए 20 वर्ष बीत गये, पर इस गोलीकांड की गूंज आज भी सुनायी देती है. लोग आज भी इस घटना को याद कर सिहर उठते हैं.

ये हुए थे शहीद

इस गोलीकांड की घटना में कुल 8 लोग शहीद हुए थे. मारे गये लोगों में सोमा जोसेफ गुड़िया (गोंडरा), जमाल खान (तपकारा), लूकस गुड़िया(गोंडरा), वोडा पाहन (चम्पाबहा), सुरसेन गुड़िया (डेरांग), प्रभु सहाय कंडुलना (बेलसिया जराकेल), समीर डहंगा (बंडा जयपुर) और सुंदर कंडुलना (बनई) शामिल हैं. इसके अलावा इस घटना में 3 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

बैरिकेडिंग हटाने को लेकर उत्पन्न हुआ था विवाद

2 फरवरी को हुए गोलीकांड का विवाद एक फरवरी को ही शुरू हो गया था. कोयल करो जलविद्युत परियोजना के विरोध में कोयल कारो जनसंगठन द्वारा क्षेत्र में जनता कर्फ्यू का एलान कर बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगायी गयी थी. जनता कर्फ्यू के सिलसिले में जगह- जगह बैरिकेडिंग की गयी थी. एक फरवरी 2001 को तपकारा ओपी के तत्कालीन प्रभारी आरएन सिंह तथा रनिया थाना के प्रभारी अक्षय कुमार राम के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों का दल छापामारी के लिए लोहाजिमि गांव की ओर गयी थी.

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वापस लौटने के क्रम में डेरांग गांव के पास जनता कर्फ्यू के सिलसिले में लगाये गये बैरिकेडिंग को हटा दिया. मौके पर मौजूद जनसंगठन के सदस्य पूर्व सैनिक अमृत गुड़िया ने बैरिकेडिंग हटाने का विरोध किया. आरोप है कि पुलिस ने अमृत गुड़िया की जमकर पिटाई कर दी. हालांकि, पुलिस मारपीट की घटना से इनकार करती है. इस घटना से गुस्साए दर्जनों गांव के हजारों लोग 2 फरवरी को तपकारा ओपी के पास जमा हो गये. लोग तपकारा ओपी का घेराव कर बैरिकेडिंग को पुनः स्थापित करने तथा दोषी पुलिसकर्मी को तत्काल निलंबित करने की मांग कर रहे थे. जनसंगठन के नेताओं और पुलिस पदाधिकारियों के बीच मामले को सुलझाने के लिए कई राउंड की वार्ता हुई, पर मामला नहीं सुलझा. विवाद का अंत गोलीकांड की घटना के रूप में हुई.

पुलिस और आंदोलनकारियों के अलग- अलग दावे

गोलीकांड को लेकर पुलिस पदाधिकारियों और आंदोलकारियों के अलग- अलग दावे हैं. जनसंगठन का कहना है कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने बेवजह गोली चलायी थी, जिसमें 8 आंदोलनकारी शहीद हो गये तथा दर्जनों लोग घायल हो गये. वहीं, पुलिस का दावा है कि उग्र भीड़ को शांत करने के लिए गोलीकांड की घटना हुई.

Posted By : Samir Ranjan.

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