देश में आम बजट को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है. कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों के आय पर असर पड़ा है. इस बजट से ना सिर्फ व्यापारियों को बल्कि आम लोगों ने भी ढेर सारी उम्मीदें पाल रखी है. सरकार से अर्थशास्त्री इस बार भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार राजकोषीय मजबूती पर फोकस ना करते हुए आम लोगों की समस्याओं पर फोकस करेगी और उन्हें राहत पहुंचायेगी.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने बुधवार को बजट पूर्व एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें उनहोंने कहा है कि नये वित्त वर्ष की शुरुआत का बेहतर तरीका मौजूदा वित्त वर्ष में एलआईसी की शेयर बिक्री को पूरा करना होगा. यह काफी मददगार होगा. इससे वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा 6.3 फीसदी के निचले स्तर पर लाने में मदद मिलेगी, क्योंकि नये वित्त वर्ष की शुरुआत सरकारी खजाने में कम-से-कम तीन लाख करोड़ रुपये के कैश सरप्लस के साथ होगी.
उन्होंने इस बजट में किस पर ध्यान देना चाहिए यह भी संकेत देने की कोशिश की है. बजट में राजकोषीय घाटे को 0.3 से 0.4 फीसदी से अधिक की कमी पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों को अभी भी समर्थन की जरूरत है. बजट में राजकोषीय मजबूती पर धीरे-धीरे कदम बढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए.
वित्त वर्ष 2022-23 के लिये चालू वित्त वर्ष के मुकाबले राजकोषीय घाटे में कमी 0.3 से 0.4 फीसदी तक सीमित रहनी चाहिए.इस समय प्रॉपर्टी टैक्स या अन्य टैक्स लगाए जाने को लेकर भी आगाह करते हुए कहा कि अगर ऐसा होता है, इससे फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होगा.सरकार को इस दिशा में ध्यान रखना होगा कि इस तरह के फैसले का असर जनता पर कितना असरदायक होगा.
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