Jharkhand : पूर्व नक्सली रामलाल पहली बार करेगा वोट

दुमका में 10 साल की सजा काटकर साधारण जीवन में आया रामलाल पहली बार वोट करेगा. वोट डालने की उम्र में उसके पिता ने नक्सल का साथ थमा दिया था.

By Raj Lakshmi | May 26, 2024 4:48 PM
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आवारागर्दी करता फिरता था,इसलिए पिता स्व बद्री राय मुझे अपने साथ नक्सली दस्ते में ले गये थे,ताकि मुझ पर नजर रख सके. यह कहना है नक्सल गतिविधियों से दूर मुख्यधारा में लौटें 33 वर्षीय रामलाल राय का. रामलाल दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के बड़ा सरुआपानी गांव का रहने वाला है. अपने जीवन के कई दशक बर्बाद होने का रामलाल को मलाल भी है. 23 जुलाई 2023 को वह साढ़े दस साल की सजा काट कर जेल से निकला है. अब मुख्यधारा में लौट कर अपने परिवार के साथ खेती-बाड़ी,साग-सब्जी उपजा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है. कहा कि कोई रोजी रोजगार मिल जाने से परिवार चलाना आसान हो जाता. रामलाल ने बताया कि 17 वर्ष की अवस्था में वह वर्ष 2006 में नक्सल दस्ते में शामिल हुआ था. यह उसके लिए पहला अवसर होगा जब वह लोकसभा चुनाव में मतदान कर अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा. रामलाल ने बताया कि दस्ते से जुड़े रहने के दौरान काफी परेशानियां थी. यहां से वहां भटकना,ना खाने का ठिकाना था ना रहने का. कई बार घर लौटने का सोचता था,लेकिन काफी केस मुकदमें हो जाने की वजह से घर लौटने की हिम्मत नहीं होती थी. वर्ष 2013 के फरवरी माह में रामलाल पुलिस गिरफ्त में आ गया. इस दौरान उसके साथ नक्सली गतिविधियों में संलिप्त उसकी पत्नी दीपिका मुर्मू और उसकी डेढ़ साल की बेटी भी मौजूद थी. बताया कि पत्नी 4 साल बाद जेल से निकली. वर्तमान में रामलाल अपनी पत्नी,अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ अपने गांव में कृषि कर जीवन यापन कर रहा है. कहा कि गांव में सिंचाई के साधनों को विकसित किए जाने की जरूरत है ताकि हमलोग साल भर कृषि कर सके. लोकतंत्र की मजबूती के लिए लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेकर मतदान करने की अपील लोगो से की. रामलाल ने बताया कि उसपर एक-दो नहीं 17 केस हुए. एक केस जो आर्म्स एक्ट का था, उसमें उसे दो साल की सजा हुई, लेकिन 13 केस में उसे अदालत ने बरी किया है. तीन केस और हैं. जिनमें दो दुमका में और एक पाकुड़ जिले से संबंधित है. लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहे रामलाल राय को मलाल है कि नक्सलवाद ने उसके परिवार को तहस-नहस कर दिया. पिता बद्री राय को भी जेल जाना पड़ा था. पिता जेल से बाहर आ चुके थे और वह जेल में ही था, तब भाई सहदेव राय उर्फ ताला पुलिस मुठभेड में मारा गया.

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