Church Attack Midnight Massacre: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) के इतुरी प्रांत स्थित कोमान्डा कस्बे में रविवार तड़के एक कैथोलिक चर्च पर भीषण हमला हुआ. इस हमले में 38 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि कई घर और दुकानें आग के हवाले कर दी गईं. इस जघन्य हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट से संबद्ध विद्रोही संगठन एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) पर डाली जा रही है.
Church Attack Midnight Massacre in Hindi: आधी रात को चर्च में घुसे हमलावर
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, हमला रविवार रात 1 बजे के आसपास हुआ. हथियारों और माचेटी से लैस हमलावर चर्च में घुस गए और वहां मौजूद लोगों को निशाना बनाया. कई चश्मदीदों के अनुसार, कुछ शवों को जला भी दिया गया. अल जजीरा के मुताबिक अभी तक मारे गए व्यक्ति की संख्या 38 है. ये सख्या आगे बढ़ भी सकती है.
“सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद हमला”
स्थानीय नेता दीदॉने ड्रंटानथाबो ने कहा, “हम हैरान हैं कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद ऐसा खूनी हमला हो गया. कई नागरिक जान बचाकर भागे और बुनिया की ओर पलायन कर रहे हैं.” उन्होंने सेना से त्वरित कार्रवाई की मांग की है क्योंकि हमलावर अब भी क्षेत्र में सक्रिय बताए जा रहे हैं.
Islamic State-backed rebels killed 38 people on Sunday in an attack on a church in eastern Congo, city officials said. https://t.co/rPyrYoAdRc
— Reuters Africa (@ReutersAfrica) July 27, 2025
ADF का खूनी इतिहास
ADF की शुरुआत 1990 के दशक में युगांडा में हुई थी, लेकिन 2000 के दशक में इसने कांगो में अपनी गतिविधियां बढ़ा दीं. वर्ष 2019 में इस समूह ने इस्लामिक स्टेट (ISIS) से नजदीकी बना ली और तभी से यह कांगो के उत्तर कीवू और इतुरी प्रांतों में लगातार हमले कर रहा है. ADF खासकर ग्रामीण इलाकों, चर्चों, स्कूलों और बाजारों को निशाना बनाता रहा है.
इस महीने की शुरुआत में भी इतुरी प्रांत में ADF द्वारा किया गया एक और हमला सामने आया था, जिसमें 66 से अधिक लोग मारे गए थे. उस घटना को संयुक्त राष्ट्र ने “ब्लडबाथ” बताया था. इन सिलसिलेवार हमलों से इलाके में डर और दहशत का माहौल है.
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सेना पहले से ही दूसरे मोर्चे पर व्यस्त
कांगो सेना पहले से ही M23 विद्रोही गुट से जारी संघर्ष में उलझी हुई है. ऐसे में ADF जैसे चरमपंथी संगठनों से निपटना उसके लिए चुनौती बना हुआ है. हाल के हमलों ने यह भी उजागर कर दिया है कि सुरक्षा तंत्र में बड़ी खामियां हैं.
ADF को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र पहले ही आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि कांगो सरकार को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और खुफिया साझेदारी के जरिए इस संकट से निपटने की जरूरत है.
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