coronavirus update, covid-19 cases and death in united state: जानलेवा कोरोनावायरस का कहर कम नहीं हो रहा. इस घातक वायरस ने दुनियाभर में सबसे ज्यादा जानें अमेरिका में लीं हैं. कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित अमेरिका को करीब एक माह के बाद थोड़ी राहत मिली है. यहां मरने वालों की संख्या में कमी आयी है. हालांकि स्थिति अभी भी गंभीर और चिंताजनक बनी हुई है.
जॉन्स हॉपकिन्स विश्विद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पिछले 24 घंटे में करीब 1015 लोगों की मौत हुई है. एक महीने में रोजाना हुई मौतों की संख्या में यह सबसे कम है. पिछले 10-12 दिनों से रोज 2000 के आस पास मौतें हो रही थी. विश्विद्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में करीब 12 लाख लोग कोरोना इससे संक्रमित हैं जबकि करीब 69 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल की शुरुआत में चेतावनी दी थी कि मरने वालों की संख्या एक लाख के करीब पहुंच सकती है. इस देश में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें न्यूयॉर्क में हुई हैं.
बता दें कि अमेरिका का के बाद कोरोना संक्रमितों की सबसे अधिक संख्या स्पेन में हैं, जहां 2.18 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट में अधिकारियों को यह चेतावनी दी गई है कि मई के आखिर में देश में रोजाना बढ़ने वाले नए मामलों की संख्या दो लाख तक पहुंच सकती है. इधर, अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए बेताब, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ राज्यों द्वारा गैर जरूरी कारोबारों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है.
कोरोना के कारण बढ़ा खर्च, लेना होगा 30 खरब डॉलर का कर्ज
‘बीबीसी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका का कहना है कि कोरोनो संबंधित राहत पैकेज के कारण उसका बजट काफी बढ़ गया है और उसे दूसरी तिमाही में रिकॉर्ड 30 खरब डॉलर का कर्ज लेना होगा. इससे पहले किसी तिमाही में लिए गए पैसे के मुकाबले ये पांच गुना अधिक है. इससे पहले सबसे अधिक कर्ज की जरूरत 2008 में आए वित्तीय संकट के दौरान हुई थी. इसके साथ दी अमेरिकी सरकार का ऋण 250 खरब तक पहुंच गया है.
साल 2019 में अमेरिका ने 12.8 खरब डॉलर का कर्ज लिया था. स्वास्थ्य सेवाओं और सीधे तौर पर लोगों को राहत देने के लिए अमेरिका ने 30 खरब डॉलर के राहत पैकेज को मंजूरी दी है. सरकार से कोरोना महामारी के चलते टैक्स लेने की तारीख 15 अप्रैल से आगे बढ़ा दी है जिस कारण भी सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है.
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