जून-जुलाई में हुए संसदीय चुनावों के बाद फ्रांस की नेशनल असेंबली तीन प्रमुख धड़ों में बंट चुकी है और किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. सितंबर में राष्ट्रपति मैक्रों ने बार्नियर को सरकार बनाने का मौका दिया था. हालांकि, विपक्षी दल अब सरकार को गिराने के लिए एकजुट हो गए हैं. दक्षिणपंथी नेता मारिन ले पेन ने कहा है कि उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी. उन्होंने बार्नियर पर उनकी मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. वामपंथी गठबंधन ने सरकार के बजट को कठोर बताते हुए इसकी तीखी आलोचना की है और सरकार पर संवाद और संसदीय प्रक्रियाओं की अनदेखी का आरोप लगाया है.
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अविश्वास प्रस्ताव पास करने के लिए संसद में 288 वोटों की जरूरत है. वामपंथी और दूर-दराज के दलों के पास कुल मिलाकर 330 से अधिक वोट हैं, जिससे प्रस्ताव के पास होने की संभावना प्रबल हो गई है. हालांकि, कुछ सांसद मतदान से अनुपस्थित रह सकते हैं, जिससे परिणाम प्रभावित हो सकता है.
अगर सरकार गिरती है, तो यह पिछले 60 वर्षों में पहला मौका होगा जब फ्रांस में कोई अविश्वास प्रस्ताव सफल होगा. ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति मैक्रों मौजूदा मंत्रियों को अस्थायी तौर पर कामकाज संभालने के लिए कह सकते हैं और नए प्रधानमंत्री की तलाश शुरू करेंगे. फ्रांस के संविधान के अनुसार, नेशनल असेंबली को कम से कम एक वर्ष तक बरकरार रहना जरूरी है, इसलिए जल्द चुनाव की संभावना नहीं है.
फिलहाल, बार्नियर के उत्तराधिकारी के रूप में किसी खास नाम की घोषणा नहीं हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैक्रों अपने गठबंधन से किसी नेता को प्रधानमंत्री बना सकते हैं. वहीं, वामपंथी गठबंधन वामपंथी विचारधारा की कैबिनेट की मांग कर रहा है. कुछ विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति मैक्रों से इस्तीफे की मांग भी की है, लेकिन मैक्रों ने इसे खारिज कर दिया है.
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