पहले से खाली कराया गया था गांव (Landslide)
इस महीने की शुरुआत में ही स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने संभावित खतरे को भांपते हुए गांव के करीब 300 निवासियों और सभी मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था. वैज्ञानिकों ने आशंका जताई थी कि लगभग 15 लाख घनमीटर (5.2 करोड़ घनफुट) बर्फ और चट्टानों वाला ग्लेशियर कभी भी टूट सकता है.
मलबे में दब गया नदी का किनारा (Switzerland)
कैंटोनल पुलिस वालाई के अनुसार, गुरुवार 29 मई की दोपहर को लगातार गिरते मलबे के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को फिलहाल रोक दिया गया है. भूस्खलन से पास ही बहने वाली लोंजा नदी का किनारा भी मलबे में दब गया है, जिससे पानी के रुकने और बाढ़ की आशंका बढ़ गई है.
स्विस राष्ट्रपति करेंगी दौरा (Glacier)
हादसे की भयावहता को देखते हुए स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति कारिन केलर-सुटर शुक्रवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगी. सोशल मीडिया और टीवी फुटेज में देखा गया कि कई घर और इमारतें भूरे रंग के कीचड़ में डूब गई हैं.
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जलवायु परिवर्तन से तेज हो रही ग्लेशियरों की पिघलन
स्विस हिमनद वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ वर्षों से ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने को लेकर चिंता जताई है. उनका मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग इसकी मुख्य वजह है. यूरोप में सबसे ज़्यादा ग्लेशियर स्विट्ज़रलैंड में हैं, जहां सिर्फ 2023 में 4% ग्लेशियर वॉल्यूम खत्म हो गया जो 2022 में रिकॉर्ड 6% की गिरावट के बाद दूसरा सबसे बड़ा नुकसान है.
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