कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से कितना गंभीर है ओमिक्रॉन? दक्षिण अफ्रीका में हुए रिसर्च से हुआ खुलासा

Omicron vs Delta Coronavirus: डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट कितना खतरनाक है, दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों से मिले इन आंकड़ों से समझें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2022 8:05 PM
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Omicron vs Delta Coronavirus: कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट को सबसे संक्रामक वैरिएंट बताया गया है. दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से दुनिया के दर्जनों देशों में फैल चुके इस वैरिएंट की गंभीरता पर भी चर्चा चल रही है. दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के खतरे की तुलना इसके पहले आये डेल्टा वैरिएंट (Delta Variantt) से की गयी, तो सुकून देने वाली रिपोर्ट सामने आयी.

यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड के इन्फेक्शस डिजीज के चीफ डॉ फहीम यूनुस ने ट्विटर पर इस रिसर्च से जुड़े कुछ आंकड़े शेयर किये हैं. इन आंकड़ों में डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट की तुलना की गयी है. तुलनात्मक आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि डेल्टा वैरिएंट की तरह ओमिक्रॉन वैरिएंट बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है. हालांकि, यह डेल्टा की तुलना में कई गुणा तेजी से फैलता है.

बावजूद इसके, कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रॉन वैरिएंट से मौत का खतरा बहुत कम है. संक्रमित लोगों की मौत का मामला हो या अस्पताल में भर्ती होने के बाद ऑक्सीजन की जरूरत का. हर मामले में ऐसा देखा गया है कि ओमिक्रॉन कोरोना के पहले के वैरिएंट से कमजोर है. डॉ फहीम यूनुस ने जो आंकड़े ट्विटर पर शेयर किये हैं, वे दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों पर आधारित हैं.

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ओमिक्रॉन वैरिएंट के दक्षिण अफ्रीका में सामने आने के बाद से अब तक जो तथ्य मेडिकल साइंस के लोगों ने जुटाये हैं, उसके अनुसार, डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित अस्पताल में भर्ती 91 फीसदी मरीजों में गंभीर सांस की समस्याएं पायी गयीं, जबकि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मात्र 31 फीसदी लोगों में ऐसी परेशानी देखी गयी.

कोरोना की दूसरी लहर (डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण) में मरीजों को कम से कम 7 दिन अस्पताल में बिताने पड़ रहे थे, जबकि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों को 3 दिन बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिल जा रही है.

डेल्टा से संक्रमिक 74 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, जबकि ओमिक्रॉन से संक्रमित मात्र 17 फीसदी लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. डेल्टा से संक्रमित 69 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता था, जबकि ओमिक्रॉन से संक्रमित मात्र 41 फीसदी लोगों को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी.

18 फीसदी मरीजों को ही वेंटिलेटर की जरूरत

कोरोना से संक्रमित 30 फीसदी मरीजों को इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती कराना पड़ा था. ओमिक्रॉन से संक्रमित मात्र 18 फीसदी लोगों को आईसीयू की जरूरत पड़ी.

दो और ऐसे महत्वपूर्ण पैमाने हैं, जो लोगों की चिंता को बहुत हद तक दूर कर देता है. दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों के आंकड़े बता रहे हैं कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित 12 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी, जबकि ओमिक्रॉन से संक्रमित मात्र 1.6 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर पर डालना पड़ा.

ओमिक्रॉन वैरिएंट में मृत्यु दर मात्र 3 फीसदी

मृत्यु दर के आंकड़े भी कोरोना की पिछली लहर की तुलना में बहुत कम हैं. लाखों लोगों की मौत की नींद सुला देने वाले कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल आने वाले 29 फीसदी लोगों की मौत हो गयी. दूसरी तरफ, ओमिक्रॉन के मामले में यह आंकड़ा सिर्फ 3 फीसदी है. यानी ओमिक्रॉन से संक्रमित जितने लोग अस्पताल पहुंचे, उसमें सिर्फ 3 फीसदी लोगों की मौत हुई.

Posted by: Mithilesh Jha

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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