यह दौरा श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी का पहला दौरा था, जिसमें तीनों देशों के बीच त्रिपक्षीय साझेदारी की घोषणा हुई. समझौते पर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री, श्रीलंका के ऊर्जा सचिव प्रो. केटीएम उदयंगा हेमपाला और यूएई के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए.
त्रिंकोमाली: ऊर्जा और रणनीति का केंद्र
त्रिंकोमाली एक प्राकृतिक गहराई वाला बंदरगाह (डीप वॉटर हार्बर) है, जो सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह स्थान पहले से ही भारतीय ऑयल की श्रीलंकाई इकाई द्वारा आंशिक रूप से संचालित ऑयल टैंक फार्म्स का गढ़ है. अब इसे एक ऊर्जा केंद्र में बदलने के लिए मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और उन्नत टैंक फार्म्स विकसित किए जाएंगे.
चीन को सीधी चुनौती
यह परियोजना ऐसे समय पर सामने आई है जब चीन श्रीलंका में हम्बनटोटा पोर्ट और 3.2 अरब डॉलर की ऑयल रिफाइनरी जैसी परियोजनाओं में निवेश कर रहा है. ऐसे में भारत का यह कदम केवल ऊर्जा सहयोग का प्रतीक नहीं, बल्कि चीन की मौजूदगी को संतुलित करने वाली रणनीतिक चाल भी है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “त्रिंकोमाली ऊर्जा सहयोग के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र बनने की अपार क्षमता रखता है, और यूएई की भागीदारी इसे ऐतिहासिक बनाती है.” यह विकास ना केवल भारत की कूटनीतिक सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि दक्षिण एशिया में भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं दे रहा, बल्कि सक्रिय होकर अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है.
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