Jai Shri Ram in Pakistan: ‘जय श्री राम’ के नारों से गूंज उठा पाकिस्तान, माहौल हुआ भगवामय

Jai Shri Ram in Pakistan: क्या आप सोच सकते हैं कि पाकिस्तान में भी 'जय श्री राम' के नारे लग सकते हैं? जी हां, पाकिस्तान के मशहूर शहरों में से एक कराची में ऐसा ही हुआ, जहां हाल ही में खूब नारे लगे और लोग रोने भी लगे. आइए जानते हैं इसके बारे में.

By Govind Jee | July 16, 2025 6:13 PM
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Jai Shri Ram in Pakistan: पाकिस्तान के कराची शहर में एक अनोखी और ऐतिहासिक प्रस्तुति देखने को मिली, जहां थिएटर ग्रुप ‘मौज.’ ने हिंदू धर्म की सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य ‘रामायण’ को बड़े सम्मान और सादगी के साथ मंच पर उतारा. नवंबर 2024 में इसकी पहली प्रस्तुति ‘The Second Floor (T2F)’ पर हुई थी, जिसे अब जुलाई 2025 में और भी बड़े पैमाने पर ‘आर्ट काउंसिल ऑफ पाकिस्तान’ में दोबारा पेश किया गया.

इस नाटक का निर्देशन योगेश्वर करेरा ने किया, जो खुद पाकिस्तान में थिएटर और कला के क्षेत्र में सक्रिय हैं. करेरा का कहना था, “रामायण हमेशा से मेरी प्रेरणा रही है… यह सिर्फ एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि अच्छाई, प्रेम और सहनशीलता की सार्वभौमिक कहानी है.”

Jai Shri Ram in Pakistan: किरदारों की अदायगी और भावनाओं की गहराई

पाकिस्तान के प्रसिद्ध अखबार डॉन के अनुसार हाल ही में कराची में आयोजित किया गया था रामायण का नाटक जिसमें कई कलाकारों की भूमिका बेहद प्रभावशाली रही. सीता की भूमिका में राना काजमी थीं, जो अपनी भावनात्मक गहराई और गरिमा से सभी दर्शकों के दिल में उतर गईं. राम बने अश्मल लालवानी, जिनकी गंभीरता और विनम्रता ने किरदार को जीवंत बना दिया. रावण की भूमिका में सम्हान ग़ाज़ी का स्वर, गुस्सा और मंच पर उनकी उपस्थिति वाकई रावण जैसी लगी.

इसके अलावा आमिर अली (दशरथ), वक़ास अख्तर (लक्ष्मण), जिबरान खान (हनुमान) और सना तोहा (कैकेयी) जैसे कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं को ईमानदारी से निभाया. कला समीक्षक ओमैर अलवी ने इसे “टॉप-क्लास नैरेटिव” बताया.

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AI से बनी रामायण की दुनिया (Jai Shri Ram slogans in Pakistan)

इस प्रस्तुति में तकनीक ने परंपरा को नया जीवन दिया. पहली बार पाकिस्तान के किसी नाटक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस स्तर पर उपयोग किया गया. दृश्य में हिलते पेड़, महलों की भव्यता और बदलते सेट दरअसल AI के जरिए बनाए गए वर्चुअल दृश्यों से संभव हुए.

राना काजमी ने बताया, “हम चाहते थे कि हर सीन जीवंत लगे, और AI ने इस काम को बखूबी निभाया.” मंच पर कुछ भी भारी-भरकम नहीं था, लेकिन हर फ्रेम में गहराई और भावनात्मक जुड़ाव साफ झलकता था.

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तालियों से गूंज उठा कराची (Jai Shri Ram in Pakistan in Hindi)

नाटक के समापन के बाद हॉल तालियों से गूंज उठा. कुछ दर्शकों की आंखों में आंसू भी थे. लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि पाकिस्तान जैसे देश में इतनी खूबसूरती से और प्रेमपूर्वक ‘रामायण’ को प्रस्तुत किया गया है. इस पल ने साबित कर दिया कि कला न धर्म देखती है, न सरहदें. वह सीधे दिल से बात करती है और इंसानियत को जोड़ने का काम करती है.

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