Pakistan Silent After US Strike ON Iran: डॉलर के आगे झुका पाकिस्तान? ईरान पर हमले पर भी नहीं बोला एक शब्द

Pakistan Silent After US Strike ON Iran: कभी ईरान के समर्थन में परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान अब अमेरिका के ईरानी ठिकानों पर हमले के बाद चुप्पी साधे बैठा है. आसिम मुनीर और ट्रंप की मुलाकात के बाद बदले रुख पर पाकिस्तान की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं.

By Aman Kumar Pandey | June 22, 2025 2:15 PM
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Pakistan Silent After US Strike ON Iran: हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के एक पेचीदा घटनाक्रम में पाकिस्तान की स्थिति पर सवाल खड़े हो गए हैं. कुछ समय पहले तक पाकिस्तान ईरान के समर्थन में खुलकर सामने आया था. इस्लामी एकजुटता की बात करते हुए पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान दिया था कि पाकिस्तान हर हाल में ईरान के साथ खड़ा रहेगा. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ईरान पर हमला हुआ, तो पाकिस्तान इजरायल पर परमाणु हमला करने से भी नहीं चूकेगा. उन्होंने यह दावा मुस्लिम देशों की एकता की अहमियत को रेखांकित करते हुए किया था.

लेकिन हालात अचानक बदलते नजर आए जब अमेरिकी सेना ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इस हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई. न तो बयान दिया गया, न ही विरोध जाहिर किया गया. इस चुप्पी को लेकर पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि उसने अमेरिका से कोई राजनीतिक या आर्थिक लाभ लेकर ईरान के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.

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इस संदर्भ में एक और अहम बात सामने आई है कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात. बताया जा रहा है कि व्हाइट हाउस में हुए इस निजी लंच के दौरान ईरान से जुड़ी कई संवेदनशील बातें हुईं. इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी पर भी आलोचना हुई और इस मुलाकात को लेकर कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं.

इतना ही नहीं, इससे पहले भी पाकिस्तान ने ईरान के प्रति सहयोग में कमी दिखाई थी जब उसने बलूचिस्तान में ईरान से लगी अपनी सीमा बंद कर दी थी. पाकिस्तान ने यह कदम ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र उठाया था ताकि संभावित शरणार्थी संकट से बचा जा सके. इन तमाम घटनाओं को जोड़कर देखा जाए तो साफ है कि पाकिस्तान का रुख अब पहले जैसा नहीं रहा. पहले ईरान के समर्थन की बातें करने वाला पाकिस्तान अब पूरी तरह खामोश है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी नीयत और नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं.

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