पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी जॉन किर्बी ने कहा कि हमें नहीं लगता कि यह एक खुले एवं स्वतंत्र हिंद-प्रशांत के अनुकूल है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने इस क्षेत्र में अपने गठजोड़ और भागीदारी को और मजबूत करने पर महत्व दिया है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि उसके साझेदारों के पास वहां मौजूद सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त रक्षात्मक क्षमताएं हो. इसलिए हम कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका भारत और चीन की सीमा पर तनाव को लेकर निश्चित ही सावधान है.
बता दें कि 15 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में सीमा विवाद को लेकर तनाव बना हुआ है. महीनों से चले आ रहे इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच अब तक 13 बार सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हर मीटिंग का नतीजा सिफर ही निकलता है.
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इतना ही नहीं, पूर्वी लद्दाख के अलावा भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के सीमाई इलाकों में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए चीन ने अरुणाचल प्रदेश ने अपनी सैन्य गतिविधियां भी बढ़ा दी है. भारत की सीमा में प्रवेश कर जब आधिपत्य कायम करने के लिए वह भूटान और तिब्बत की जमीन का जबरन इस्तेमाल कर रहा है. पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में सैन्य अभियान को तेज करने के लिए उसने भूटान और तिब्बत के रास्ते रेल लाइन भी बिछा दिया है.