भारत ने जताई थी आपत्ति
भारत ने इस सैन्य अभ्यास को लेकर श्रीलंकाई सरकार से चर्चा की थी और यह बताया था कि त्रिंकोमाली क्षेत्र में पाकिस्तान का हस्तक्षेप न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता है. बल्कि इससे ऊर्जा केंद्र और अन्य विकासात्मक प्रोजेक्ट्स पर भी असर पड़ेगा. इस क्षेत्र में श्रीलंकाई सरकार ने भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर एक मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन और ऊर्जा केंद्र विकसित करने का समझौता किया है और भारत नहीं चाहता कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में किसी तरह का हस्तक्षेप करे.
पीएम मोदी के साथ वार्ता के बाद फैसला
इस निर्णय से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच महत्वपूर्ण वार्ता हुई थी. जिसमें रक्षा सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के कदम उठाए गए थे. प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिंकोमाली के क्षेत्रीय महत्व को स्पष्ट करते हुए श्रीलंकाई सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया.
पाकिस्तान के विरोध के बावजूद श्रीलंका का फैसला
जब श्रीलंका ने पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास रद्द किया, तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस फैसले का विरोध किया. लेकिन श्रीलंकाई सरकार ने अपनी संप्रभुता और भारत के साथ मजबूत संबंधों को प्राथमिकता दी और पाकिस्तान के विरोध को नजरअंदाज करते हुए अभ्यास रद्द कर दिया.
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