हाल ही में हुई नाटो (NATO) देशों की एक अहम बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सुझाव को मान लिया गया, जिसमें सभी नाटो सदस्य देशों से कहा गया था कि वे अपनी जीडीपी का कम से कम 5 फीसदी हिस्सा रक्षा पर खर्च करें. तुर्की ने इस फैसले को अपनाते हुए अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत करना शुरू कर दिया है. इसके तहत उसने ‘स्टील डोम’ को और व्यापक बनाने की घोषणा की है.
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तुर्की की योजना है कि देश का प्रत्येक कोना चाहे वह जमीन हो या समुद्र, स्टील डोम की सुरक्षा कवच में रहेगा. सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जहां इजरायल का आयरन डोम मुख्य रूप से शॉर्ट रेंज मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है, वहीं तुर्की का स्टील डोम बहुस्तरीय (multi-layered) सुरक्षा प्रणाली है, जिसमें एडवांस सेंसर, इंटरसेप्टर मिसाइलें और रियल-टाइम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी शामिल है.
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यह सिस्टम खतरे को पहचानते ही खुद-ब-खुद सक्रिय हो जाता है और संभावित हमले को हवा में ही नष्ट कर देता है. खास बात यह है कि यह तकनीक समुद्र से होने वाले हमलों को भी रोक सकती है. फिलहाल इसे राजधानी अंकारा, अक्कुयु न्यूक्लियर पावर प्लांट और कुछ अन्य महत्वपूर्ण इलाकों में तैनात किया जा चुका है. अब तुर्की ने इसे पूरे देश में फैलाने की योजना बनाई है.
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स्टील डोम में शॉर्ट और लॉन्ग रेंज मिसाइलों के साथ-साथ ऐसी डिवाइसेज भी शामिल हैं, जो दुश्मन के मिसाइल सिस्टम को हवा में ही इंटरसेप्ट कर खत्म कर सकती हैं. तुर्की ने पिछले साल अगस्त में इस तकनीक को लागू करने का निर्णय लिया था और अब इसकी तैनाती तेजी से की जा रही है. इजरायल और हमास के बीच हालिया युद्ध के दौरान ‘आयरन डोम’ की भूमिका पर वैश्विक ध्यान गया था. उसी मॉडल को मात देने के लिए तुर्की अब ‘स्टील डोम’ के जरिए अपनी रक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की कोशिश कर रहा है.
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