इस हिंसा की जड़ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा दिए गए एक ऑनलाइन भाषण को माना जा रहा है, जिसके जवाब में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया. प्रदर्शनकारियों ने धनमंडी इलाके में बुलडोजर मार्च निकालने की योजना बनाई थी. पहले यह मार्च रात 9 बजे शुरू होने वाला था, लेकिन बाद में इसे बदलकर 8 बजे ही शुरू कर दिया गया. भारी भीड़ ने मुख्य द्वार को तोड़कर अंदर प्रवेश किया और जमकर उत्पात मचाया.
प्रदर्शनकारियों का दावा था कि यह आवास, जो लंबे समय से शेख मुजीबुरर्हमान के परिवार से जुड़ा हुआ है, तानाशाही और फासीवाद का प्रतीक बन चुका है. उनका इरादा इस घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर तथाकथित ‘मुजीबवाद’ और फासीवाद के किसी भी निशान को खत्म करना था. विरोध प्रदर्शन के दौरान शेख हसीना के खिलाफ नारेबाजी की गई और उन्हें फांसी देने की मांग उठाई गई.
कई प्रदर्शनकारी घर की दूसरी मंजिल तक पहुंच गए और वहां लगी दिवंगत नेता की तस्वीरों और अन्य वस्तुओं को नष्ट कर दिया. हथौड़ों, लोहे की छड़ों और लकड़ी के डंडों से हमला कर घर को नुकसान पहुंचाया गया. इस हमले में ऐतिहासिक संपत्ति को भारी क्षति हुई है.
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इससे पहले, दिन में भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा था, “आज रात, बांग्लादेश की भूमि फासीवाद से मुक्त हो जाएगी.” उनकी इस पोस्ट से माहौल और अधिक भड़क गया और विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया.
अवामी लीग ने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से 6 फरवरी को सड़कों पर उतरने की अपील की थी. पार्टी ने देशभर में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बाधित कर कई शहरों को ठप करने की योजना बनाई थी. हालांकि, इससे पहले ही छात्र संगठनों ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया. यह विरोध प्रदर्शन मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा अंतरिम सरकार में अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ था. शेख हसीना की पार्टी ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा है कि यह देश की ऐतिहासिक धरोहर और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है. बांग्लादेश में इस बढ़ती अशांति को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है, और आगे के हालात को नियंत्रित करने के लिए विशेष सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं.