Nimisha Priya Execution: यमन में एक भारतीय नर्स द्वारा मारे गए युवक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे निमिषा प्रिया की फांसी के अलावा किसी भी अन्य समाधान को स्वीकार नहीं करेंगे. भले ही यमनी अधिकारियों ने भारत की राजनयिक अपील पर फांसी पर अस्थायी रोक लगा दी हो, लेकिन पीड़ित परिवार का रुख अब भी बेहद सख्त और अडिग बना हुआ है.
भाई का फेसबुक पोस्ट (Nimisha Priya Execution)
तलाल महदी के भाई अब्दुल फत्ताह महदी ने फांसी पर रोक के बाद एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, “आज जो कुछ हो रहा है, वो नया नहीं है. सालों से इस केस में गुप्त स्तर पर सुलह और मध्यस्थता के प्रयास होते रहे हैं. लेकिन इन प्रयासों और दबावों से हमारा रुख नहीं बदला है. हमारा एक ही मांग है किसास (प्रतिशोध) और कुछ नहीं.”
क्या पाकिस्तान में तख्तापलट की तैयारी? शहबाज-जरदारी-मुनीर की गुप्त बैठकों से सियासी हलचल तेज
उन्होंने यह भी कहा, “जो लोग इस फांसी को रोकने में शामिल हैं, वे जानते हैं कि हम किसी भी सुलह या रक्तपुण्य (दियत) के विकल्प को पूरी तरह खारिज करते हैं. लेकिन फांसी की तारीख तय होने के बाद का दौर पहले से ज्यादा कठिन होता है. हम अंत तक इसको अंजाम तक पहुंचाएंगे. कोई दबाव हमें नहीं रोक सकता, कोई ताकत हमें नहीं डिगा सकती. खून को खरीदा नहीं जा सकता. इंसाफ को भुलाया नहीं जा सकता. क़िसास आएगा, चाहे जितना भी समय लगे.”
इंटरव्यू में परिवार का क्या रुख (Nimisha Priya Execution)
सोमवार को BBC Arabic को दिए इंटरव्यू में अब्दुल फत्ताह ने एक बार फिर कहा कि उनका परिवार सिर्फ न्याय चाहता है. उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि एक “निर्मम, घृणित और जघन्य अपराध” का है, जिसमें शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसे छुपाया गया. उन्होंने कहा, “हम भारतीय मीडिया द्वारा इस मामले को गलत ढंग से पेश करने से भी दुखी हैं. वहां पर एक दोषी को पीड़ित के रूप में दिखाने की कोशिश हो रही है ताकि जनमत को प्रभावित किया जा सके. लेकिन किसी भी परिस्थिति में हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता और फिर शव को क्षत-विक्षत करने का तो सवाल ही नहीं उठता.”
रूस की वजह से भारत पर 100% टैरिफ लगाएगा अमेरिका? जानें किसने दी चेतावनी
भारत ने पूरी कोशिश की, पर अब सीमाएं हैं: अटॉर्नी जनरल (Nimisha Priya Execution)
38 वर्षीय निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की कोल्लेंगोड की रहने वाली हैं. उन्हें जुलाई 2017 में यमन में अपने पूर्व नियोक्ता तलाल महदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. यमन की अदालत ने 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई और नवंबर 2023 में सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर दी. भारत की यमन में कोई सीधी राजनयिक उपस्थिति नहीं है क्योंकि वहां गृहयुद्ध जारी है. इसलिए यह मामला सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास के जरिए संभाला जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, भारतीय दूतावास यमन की राजधानी सना स्थित जेल अधिकारियों और लोक अभियोजक कार्यालय से लगातार संपर्क में है.
निमिषा की मां प्रेमकुमारी भी अपनी बेटी की जान बचाने के लिए यमन गई थीं और भारत ने दीयत (खून-बहा) के जरिए समझौते की कोशिश की, लेकिन महदी परिवार की सख्त जिद के कारण कोई प्रगति नहीं हो सकी. सोमवार को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले में अपनी ओर से सब कुछ किया है जो संभव था. भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ से कहा, “हम जहां तक जा सकते थे, गए. अब इससे आगे हमारे अधिकार क्षेत्र की सीमा है.”
नतीजा अभी अधर में (Nimisha Priya Execution)
हालांकि फिलहाल फांसी पर अस्थायी रोक लगाई गई है, लेकिन हालात अब भी बेहद नाजुक बने हुए हैं. पीड़ित परिवार किसी भी सुलह या माफी से इनकार कर रहा है, जिससे निमिषा प्रिया की जिंदगी अब भी मौत के साये में लटकी हुई है.
अमेरिका में फिर दर्दनाक हादसा, एरिजोना में मेडिकल विमान क्रैश, 4 की मौत
अमेरिका की पुरानी सेटिंग भी नहीं रोक पाई भारत का राफेल वार, ऑपरेशन सिंदूर से उठा पर्दा
“मैंने कोई प्रतिशत जिक्र नहीं किया,” रूसी ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर 100% टैरिफ लगाने को लेकर ट्रंप का जवाब
ट्रंप के टैरिफ के बीच भारत की दहाड़, अजीत डोभाल रूस पहुंचकर अमेरिका को दिया कड़ा जवाब