भगत सिंह ने अपने छोटे से जीवन में कई लेख लिखे और विभिन्न पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त किया. हालांकि उन्होंने कोई भी पुस्तक पूरी तरह से नहीं लिखी, लेकिन उनके लेख, पत्र और दस्तावेज कई पुस्तकों के रूप में संकलित और प्रकाशित हुए हैं. आज इस लेख से हम उनकी पुस्तकों और संकलनों के बारे में जानते हैं.
भगत सिंह द्वारा लिखित पुस्तकें (Bhagat Singh books in Hindi)
“मैं नास्तिक क्यों हूँ”
यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था. इसमें उन्होंने ईश्वर की अवधारणा पर तार्किक विचार रखे थे और बताया था कि वे ईश्वर में विश्वास क्यों नहीं करते. जो भी इस पुस्तक को पढ़ना चाहेगा, आप उनके लेख से समझ जाएंगे कि यह लेख आज भी तार्किक और वैज्ञानिक सोच को प्रेरित करता है.
“असेंबली बम कांड पर वक्तव्य”
1929 में सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस वक्तव्य में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि ब्रिटिश शासन को जगाना था.
“भारत में क्रांति की आवश्यकता”
भारत में क्रांति की आवश्यकता में उन्होंने लिखा कि भारतीय समाज और स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में क्रांति का महत्व इस लेख के माध्यम से समझाया गया है.
“विद्रोही”
यह लेख 1925 में लिखा गया था, जिसमें भगत द्वारा क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए गए थे.
“साम्राज्यवाद मुर्दाबाद”
इस लेख में उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाई और साम्राज्यवाद के दुष्प्रभावों से जनता को अवगत कराया.
“क्रांतिकारी कार्यक्रम का प्रारूप”
भगत सिंह ने भारत में क्रांति के लिए एक कार्यक्रम और मार्ग की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सामंतवाद का अंत, किसानों के कर्ज माफ करना, भूमि का राष्ट्रीयकरण, सामान्य शिक्षा और काम के घंटों में कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं.
Bhagat Singh Books: किन विचारकों की पुस्तकों का अध्ययन किया?
भगत सिंह ने कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स, लेनिन और रूसो जैसे कई विचारकों की पुस्तकों का भी अध्ययन किया. उनकी अध्ययन सूची में निम्नलिखित पुस्तकें प्रमुख थीं:
- कार्ल मार्क्स की “दास कैपिटल”
- लेनिन की “राज्य और क्रांति”
- टॉम पेन की “मानव के अधिकार”
- रूसो की “सामाजिक अनुबंध”
भगत सिंह की विचारधारा स्वतंत्रता सेनानियों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वे समाजवाद, समानता और वैज्ञानिक सोच के पक्षधर थे. उनके द्वारा लिखी और पढ़ी गई पुस्तकें आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. शहीद दिवस पर हमें उनके विचारों को समझने और समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है.