DU:दिल्ली विश्वविद्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा विश्वविद्यालय के कणाद भवन सभागार में गृह पत्रिका ‘ज्ञानालोक’ के विमोचन का भव्य आयोजन किया गया. शुक्रवार को आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा का भविष्य बहुत स्वर्णिम है क्योंकि देश का भविष्य भी बहुत स्वर्णिम है. कोई भी भाषा अपने बोलने वालों की वजह से सशक्त होती है. हिंदी जन-मन की भाषा है और जनता के सहयोग से ही यह आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि हिंदी आज संसार की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है और अपने खुलेपन एवं समावेशी प्रकृति के कारण लगातार समृद्ध हो रही है. साहित्य में सभ्यतागत बदलाव के चित्रण को समाहित करने की क्षमता होती है और साहित्य यह काम कर रहा है. ज्ञानालोक पत्रिका में सम्मिलित साहित्य इसका बड़ा प्रमाण है. इस मौके पर ज्ञानालोक के संपादक प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी गृहपत्रिका का विमोचन आने वाले समय में हिंदी भाषा की दशा में बड़े बदलाव की आहट है. भारतीय समाज पूर्व में ज्ञान आधारित समाज रहा है और हम पुनः उस ज्ञान आधारित समाज का निर्माण करने की और आगे बढ़ रहे हैं.
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