एक श्लोक…शिक्षा में संस्कृति का संगम! इस राज्य के स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे ‘गीता’

Bhagavad Gita: उत्तराखंड सरकार ने स्कूलों में बच्चों को गीता का श्लोक पढ़ाने और उसका अर्थ समझाने का आदेश दिया है. यह कदम भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है. अब गीता के श्लोक शिक्षा का हिस्सा बनेंगे, जिससे छात्रों में आत्मज्ञान और अनुशासन बढ़ेगा.

By Shubham | July 16, 2025 1:33 PM
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Shrimad Bhagavad Gita in Hindi: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. अब राज्य के स्कूलों में अब बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी. राज्य सरकार ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर कहा है कि सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभाओं में रोज़ एक श्लोक पढ़ाया जाएगा और उसका अर्थ भी बताया जाएगा. इसका मकसद है कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा से भी जोड़ा जाए और उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाया जा सके.

Bhagavad Gita: हर सप्ताह होगा ‘श्लोक ऑफ द वीक’

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड के माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह आदेश भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि शिक्षक हर सप्ताह एक श्लोक को ‘श्लोक ऑफ द वीक’ घोषित करेंगे और उसे अर्थ सहित स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लिखेंगे. बच्चे उस श्लोक का अभ्यास करेंगे और सप्ताह के अंत में उस पर चर्चा की जाएगी. बच्चों से उस श्लोक पर फीडबैक भी लिया जाएगा.

Bhagavad Gita: छात्र समझेंगे वैज्ञानिक दृष्टिकोण

शिक्षकों से यह भी कहा गया है कि वे समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करें और यह बताएं कि गीता के सिद्धांत कैसे इंसानी जीवन मूल्यों, व्यवहार, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की ताकत, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच को बढ़ाते हैं.

Bhagavad Gita: गीता को सिर्फ पढ़ाई नहीं, जीवन में अपनाएं

आदेश में यह भी कहा गया है कि गीता को केवल एक विषय की तरह न पढ़ाया जाए, बल्कि इसके विचार और मूल्य बच्चों के जीवन और व्यवहार में भी दिखने चाहिएं. छात्रों को यह समझाना जरूरी है कि गीता के ज्ञान का आधार मनोविज्ञान, तर्क, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित है, जो किसी भी धर्म से ऊपर उठकर पूरी मानवता के लिए उपयोगी है.

Bhagavad Gita: मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश

डॉ. सती ने बताया कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उठाया गया है, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को भी शिक्षा में शामिल करने की बात कही गई है. इससे पहले 6 मई को हुई राज्य सिलेबस की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गीता और रामायण को कोर्स में शामिल करने के निर्देश दिए थे. अब ये पुस्तकें नए सत्र से छात्रों को मिलेंगी.

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