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हम हैं इस भारत के बच्चे
हम नहीं है अक्ल के कच्चे
हम आंसू नहीं बहाते हैं
क्योंकि हम हैं सीधे सरल और सच्चे.
मां की कहानी थी
परियों का फसाना था
बारिश में कागज की नाव थी
बचपन का वह हर मौसम सुहाना था.
रोने की वजह न थी ना हंसने का बहाना था
क्या हो गए हम इतने बड़े
इससे अच्छा तो वह बचपन का जमाना था.
चाचा का है जन्म दिवस
सभी बच्चे आएंगे
चाचा जी के फूल गुलाब सा
हम शमां को महकायेंगे.
खबर ना होती कुछ सुबह की
ना कोई शाम का ठिकाना था
थक हार के आना स्कूल से
पर खेलने तो जरूर जाना था.
दुनिया में कुछ ऐसी चीज हैं, जिनको हम खरीद नहीं सकते हैं
जिसमें से सबसे पहली चीज
हमारे बचपन के दिन है.
बचपन का वह दिन मैं बहुत याद करता हूं
बचपन यूं ही गुजर जाता है
जब तक उसका एहसास करता हूं
वह अतीत में बदल जाता है.
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