अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस 16 मई 2024,आज ही के दिन विज्ञान की दुनिया में कुछ ऐसा आविष्कार हुआ जो वरदान बनके उभरा है.आज ही के दिन 16 मई 1960 को अमरीकी वैज्ञानिक थियोडोर मेमन ने पहली बार कैलिफ़ोर्निया में लेज़र तकनीक का उपयोग करके दिखाया था.
लेज़र का फुल फॉर्म है – लाइट एम्प्लिफ़ाइड बाइ द स्टिम्युलेटेड एमिशन ऑफ़ रेडिएशन.
थियोडोर मेमन ने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्सटीन के सिद्धांत का पालन करते हुए मालिबु में एक लैब में एक मशीन बनाई थी जिससे कि लेज़र किरणें निकलती थीं.उनके द्वारा किया गया ये आविष्कार आने वाले दिनों में विज्ञान की दुनिया में बहुत बड़ा वरदान बनके उभरा है.
International day of Light 2024: उपयोग
इसके उपयोग की बात करे तो:आज लेज़र किरणों का प्रयोग विभिन्न जगहों पर देखा जा सकता है – चाहे डीवीडी प्लेयर हों या स्कैनर, या फिर अत्यंत जटिल मेडिकल उपकरण हों या फ़ाइबर ऑप्टिक केबल जिनसे इंटरनेट चलता है – ये सब लेज़र किरणों से चलते हैं.ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्डशर में एक शोध वैज्ञानिक डॉक्टर केट लैंकास्टर का कहना है कि टेड मेमन अपने आविष्कार के हो रहे प्रयोगों को देखकर निश्चित रूप से फूले नहीं समाते रहे होंगे.आज के दौर में लेज़र के कितने सारे उपयोग हैं. ऐसी चीज़ों से लेकर जिनसे हमारा मनोरंजन होता है, ऐसी चीज़ों तक जिनसे हमारी आँखों का इलाज होता है या फिर ऐसी चीज़ें जिनसे हमारे वाहन तक बनते हैं.
इस विज्ञान के दौर में लेज़र का भविष्य भी बहुत ही शानदार होनेवाला है.वैज्ञानिक इनकी सहायता से एटम्स के साथ बदलाव करने, प्रोटीन के बारे में पता लगाने और न्यूक्लीयर विखंडन करने की परियोजना भी तैयार कर रहे हैं.ब्रिटेन के साउथैम्प्टन विश्वविद्यालय में ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च सेंटर में प्राध्यापक डॉक्टर डेविड हाना कहते हैं,”लेज़र ने जो कुछ सुविधा उपलब्ध कराई है उससे और क्या-क्या अजूबे काम किए जा सकते हैं इसके लिए लोगों को अपनी कल्पना का प्रयोग करना होगा.”लेज़र के आविष्कारक टेड मेमन ने पाँच मई 2007 को 79 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहा था.आज भी लेज़र को जब भी देखते और सुनते है महान आविष्कारक टेड मेमन की याद दिलाता है.
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