Success Story: गुजरात के नवसारी जिले के तलोध गांव के नवनिर्वाचित सरपंच नील देसाई की कहानी हार नहीं, हौसले और हिम्मत की मिसाल है. 52 वर्षीय देसाई ने स्कूली जीवन में कई बार असफलता का सामना किया. वे कक्षा 12वीं की परीक्षा में 26 बार फेल हुए, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
इंजीनियर बनने का था सपना
नील का सपना इंजीनियर बनने का था. उन्होंने 1989 में 10वीं पास की और विज्ञान विषय लिया. लेकिन 1991 में पहली बार 12वीं में फेल हो गए. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. कई प्रयासों के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (1996) पूरा किया, फिर बीएससी और एमएससी किया. अंततः 2018 में उका तरसाडिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. उनका शोध पर्यावरण से जुड़ा था – “विभिन्न एसिड में हल्के स्टील के क्षरण के लिए प्रभावी हरित अवरोधक” पर आधारित.
राजनीति में नया चेहरा, लेकिन भरोसेमंद
नील देसाई के पास कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी. फिर भी जब पंचायत चुनाव हुआ, तो गांव के लोगों ने उनकी ईमानदारी, सेवा और विकास कार्यों को देखकर उन्हें सरपंच चुना. वे 80% वोटों के साथ भारी बहुमत से जीतकर आए.
हरियाली और जल संरक्षण के लिए समर्पित
नील देसाई पिछले 30 वर्षों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं. उन्होंने “हरियाली समूह” नाम से एक संगठन बनाया और उसके तहत 7 मियावाकी जंगल, 150 साल पुराने कुएं का पुनर्निर्माण, और जल संरक्षण की कई परियोजनाएं चलाईं. अब उनका लक्ष्य है कि नवसारी जिले में 20 पुराने कुओं का पुनर्निर्माण करें.
12वीं पास करने का सपना अब भी जिंदा
सरपंच बनने के बाद भी नील देसाई की सीखने की भूख कम नहीं हुई है. वे कहते हैं, “गांव ने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसके बदले में मैं 12वीं पास जरूर करूंगा. मैं हार मानने वालों में से नहीं हूं.”
नील देसाई की कहानी बताती है कि अगर हौसला हो तो असफलता भी सफलता की सीढ़ी बन जाती है.
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