NEET PG 2025: अब नहीं छुपेगा फीस स्ट्रक्चर! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- विश्वविद्यालयों को करना होगा ये काम

NEET PG 2025 के उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने सभी निजी और डीम्ड यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि वे काउंसलिंग शुरू होने से पहले ही फीस स्ट्रक्चर का खुलासा करें. इसमें ट्यूशन, हॉस्टल, कॉशन डिपॉजिट और अन्य चार्ज शामिल होंगे. इससे छात्रों को पारदर्शिता मिलेगी और सीट ब्लॉक जैसी गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी.

By Shubham | May 23, 2025 9:55 AM
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NEET PG 2025 in Hindi: सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पीजी (NEET-PG) में सीट रोकने की बढ़ती समस्या पर चिंता जताई है. कोर्ट ने सभी निजी और डीम्ड (मानद) विश्वविद्यालयों को यह निर्देश दिया है कि वे काउंसलिंग शुरू होने से पहले ही अपनी पूरी फीस की जानकारी सार्वजनिक करें. इसमें ट्यूशन फीस, हॉस्टल चार्ज, कॉशन डिपॉजिट और बाकी सभी तरह की फीस शामिल होनी चाहिए. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा और अब आगे क्या होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? (NEET PG 2025)

यह फैसला जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने 29 अप्रैल को सुनाया. कोर्ट ने कहा कि सीट ब्लॉक करने से असल में कितनी सीटें उपलब्ध हैं, यह सही तरीके से पता नहीं चलता. इससे मेधावी छात्रों को नुकसान होता है और एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता खत्म हो जाती है. कई बार ऐसा भी होता है कि सीटें योग्यता के बजाय किस्मत के आधार पर भर जाती हैं.

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रेगुलेटरी बॉडी को लेकर भी बात (NEET PG 2025)

कोर्ट ने साफ कहा कि “सीट ब्लॉक करना सिर्फ गलत काम नहीं बल्कि यह सिस्टम की कमजोर नीतियों, पारदर्शिता की कमी और सही निगरानी की कमी को दिखाता है.”हालांकि रेगुलेटरी बॉडी (जैसे NMC – नेशनल मेडिकल कमीशन) इस पर रोक लगाने की कोशिश कर रही हैं और तकनीकी उपाय भी किए गए हैं लेकिन अब तक यह पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए केवल नीति नहीं बल्कि सिस्टम में बड़े बदलाव, तकनीक में सुधार और राज्य तथा केंद्र स्तर पर सख्त निगरानी की जरूरत है.

कोर्ट ने यह भी कहा (NEET PG 2025)

  • हर कॉलेज को काउंसलिंग से पहले फीस का खुलासा करना होगा.
  • केंद्र सरकार को एक फीस नियंत्रण प्रणाली (Centralized Fee Regulation System) बनानी चाहिए, जो NMC के तहत चले.
  • सीट रोकने जैसे मामलों पर सख्त सजा दी जानी चाहिए, जैसे: सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त करना, छात्र को भविष्य की नीट-पीजी परीक्षाओं के लिए अयोग्य घोषित करना,कॉलेज को ब्लैकलिस्ट करना.
  • यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार और मेडिकल शिक्षा महानिदेशक (लखनऊ) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2018 के एक पुराने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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