जब कोई सहारा नहीं था…(Premanand Ji Maharaj Story)
प्रेमानंद जी महाराज ने एक वीडियों में अपनी स्टोरी बताई. उन्होने कहा कि तकरीबन 25-30 वर्ष पहले वह बहुत बीमार हो गए थे और उस समय वे एक आश्रम में रहते थे. अचानक आश्रम के महंत ने उन्हें वहां से जाने को कह दिया. महाराज जी ने पूछा कि मैंने क्या गलती की है?” महंत ने जवाब दिया, “कोई गलती नहीं, बस अब आप यहां नहीं रह सकते.” जब महाराज जी ने कहा कि वे चल भी नहीं सकते, तो उन्हें जवाब मिला, “मैं आपका जिम्मेदार नहीं हूं.” इस पर महाराज जी ने बड़ी शांति से कहा, “मेरे ठेकेदार तो भगवान हैं.” और वे बिना विरोध किए आश्रम से निकल गए.
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बीमारी और भक्ति का सफर (Premanand Ji Maharaj Story)
आश्रम छोड़ने के बाद वे वृंदावन चले गए. वहां जाकर पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. पास में इलाज के लिए पैसे नहीं थे. कोई अपना भी नहीं था. फिर भी उन्होंने भक्ति नहीं छोड़ी. राधा रानी पर भरोसा बनाए रखा. शरीर का कष्ट भी उन्होंने भगवान की कृपा मानकर सह लिया.
कठिनाई से बनी नई राह (Premanand Ji Maharaj Story in Hindi)
महाराज जी खुद कहते हैं कि अगर उस समय मुझे ये बीमारी नहीं होती और आश्रम से नहीं निकाला जाता, तो मैं कभी नहीं समझ पाता कि भगवान की शरणागति क्या होती है.” आज वही प्रेमानंद जी लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन चुके हैं. उनका जीवन दिखाता है कि ईश्वर पर विश्वास रखने वाला कभी अकेला नहीं होता.
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छात्रों के लिए सीख (Premanand Ji Maharaj Story)
प्रेमानंद जी की कहानी हर छात्र को यह सिखाती है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, हार नहीं माननी चाहिए. मेहनत, भक्ति और आत्मविश्वास से हर मुश्किल आसान हो सकती है. जब सारे रास्ते बंद लगें, तब भी कोई एक नया रास्ता भगवान जरूर दिखाते हैं.
नोट- प्रेमानंद महाराज की कहानी पर लिखा गया यह लेख उनके द्वारा यूट्यूब वीडियो में बताए गए वाक्यांश पर आधारित है. प्रभात खबर की ओर से इसमें कुछ भी अलग से नहीं जोड़ा गया है.