Success Story: JPSC का वो हीरो, जो दिन में खाना पहुंचाता था और रात में सपनों को सींचता था

Success Story: राजेश रजक ने डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी करते हुए दिन-रात मेहनत की, पिता को खोने और आर्थिक तंगी के बावजूद पढ़ाई नहीं छोड़ी. मां ने रसोइया बनकर घर संभाला और बेटे ने JPSC में सफलता पाकर काराधीक्षक बनकर परिवार का सपना पूरा कर दिखाया.

By Pushpanjali | July 26, 2025 8:05 AM
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JPSC Topper Success Story: जब हालात घुटने टेकने पर मजबूर करें और सपनों को छोड़ देना आसान लगने लगे—तब भी जो डटा रहे, वही असली विजेता होता है. ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है राजेश रजक की, जिन्होंने डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी करते हुए झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) में सफलता पाई है. उन्हें 271वीं रैंक मिली है और अब उनका चयन झारखंड जेल सेवा में काराधीक्षक पद पर हुआ है.

पिता की मौत, मां ने उठाया जिम्मा

राजेश हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड के ग्राम केंदुआ, श्री लालोडीह के निवासी हैं. जब वे 12वीं में पढ़ रहे थे, तभी उनके पिता राजू रजक का निधन हो गया. इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी मां जानकी देवी पर आ गई. उन्होंने तुर्कबाद के मध्य विद्यालय में रसोइया का काम कर किसी तरह घर का खर्च चलाया.

डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी, फिर भी न छोड़ा सपना

आर्थिक तंगी के कारण राजेश की पढ़ाई छूटने वाली थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वे रांची चले गए और एक डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी करने लगे. दिन में ऑर्डर पहुंचाते, और रात में किताबों से जूझते रहे. उसी जुझारूपन का नतीजा है कि आज वे अफसर बन गए हैं.

पढ़ाई के लिए नहीं था वक्त, फिर भी जुटे रहे

राजेश बताते हैं कि “वक्त बहुत कम था, लेकिन जिद थी कि हालात से हार नहीं माननी. नौकरी के बाद जो भी समय बचता, उसे पढ़ाई में लगाता था. मां की मेहनत मेरी प्रेरणा रही.”

अब बनेंगे काराधीक्षक

जेपीएससी की परीक्षा में 271वीं रैंक हासिल कर राजेश का चयन झारखंड जेल सेवा में काराधीक्षक पद के लिए हुआ है. वे अब अपने जिले और राज्य के लिए एक उदाहरण बन गए हैं.

“कभी हालात मत कोसिए, बस लड़ते रहिए”

राजेश आज की पीढ़ी से कहते हैं—”अगर आप ठान लें, तो कोई मुश्किल आपको रोक नहीं सकती. संसाधन नहीं थे, लेकिन इरादा था. यही काफी था.”

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