उनकी यह यात्रा सिर्फ सफलता की कहानी नहीं है, यह जिद, हिम्मत और परिवार के सहयोग की वो मिसाल है जो हर युवा—खासकर महिलाएं—जानना और समझना चाहेंगी. यह कहानी बताती है कि मां बनने के बाद भी सपनों को जिंदा रखा जा सकता है, और उन्हें साकार भी किया जा सकता है.
मां भी बनीं और अफसर भी
केरल की रहने वाली मालविका नायर पहले से ही एक IRS अधिकारी थीं, लेकिन उनका सपना था IAS बनना. 2024 का UPSC CSE उनका छठा और आखिरी अटेम्प्ट था. इसी बीच 3 सितंबर 2023 को उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, और सिर्फ 17 दिन बाद 20 सितंबर को UPSC की मेंस परीक्षा में शामिल हो गईं. शारीरिक कमजोरी, थकावट और मानसिक दबाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.
प्रेग्नेंसी में प्रीलिम्स, डिलीवरी के बाद मेन्स
मालविका बताती हैं कि उन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा प्रेग्नेंसी के दौरान दी थी और मेंस परीक्षा को वह युद्ध जैसा अनुभव मानती हैं. एक नवजात शिशु के साथ तैयारी करना आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि इंटरव्यू के समय भी उनके चार महीने के बेटे आदिसेश को दिल्ली लाया गया, ताकि वह उसे फीड कर सकें.
परिवार बना सबसे बड़ी ताकत
इस पूरे सफर में मालविका के पति नंदागोपन, जो खुद एक IPS अधिकारी हैं, उनके सबसे बड़े सपोर्टर रहे. परिवार वालों ने बेटे को परीक्षा केंद्र तक लाना, मालविका को मानसिक संबल देना, हर मोड़ पर उनका साथ दिया. मालविका कहती हैं, “अगर मेरा परिवार साथ नहीं होता, तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती.”
अब जब वह अपने लक्ष्य को हासिल कर चुकी हैं, तो उनकी कहानी हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है – खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो मां बनने के बाद अपने सपनों को छोड़ देती हैं.
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