Success Story: बिहार की IAS बेटी बनी एमपी की बहु, फॉरेस्ट ऑफिसर से शादी, जानें दोनों का UPSC रैंक

Success Story: यूपीएससी सिविल सर्विस जैसी कठिन परीक्षा को क्रैक करने वाले हर कैंडिडेट्स की स्टोरी प्रेरणादायक होती है. ऐसे में सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले छात्रों को टॉप आईएएस और आईपीएस के जीवन को करीब से जानना चाहिए. इसी तरह आईएएस ऑफिसर अर्चना कुमारी की कहानी काफी रोचक है.

By Ravi Mallick | June 10, 2025 5:26 PM
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Success Story: अर्चना कुमारी बिहार के नवादा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनीं. UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2020 में 110वीं रैंक हासिल कर अर्चना ने IAS बनने का गौरव प्राप्त किया. यह उनकी तीसरी कोशिश थी, जिसमें उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया.

Success Story of IAS Archana Kumari: अर्चना का यूपीएससी सफर

अर्चना कुमारी शुरू से पढ़ाई में अव्वल रही हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई होम टाउन से ही हुई है. उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वूमेन से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की है. इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. उनकी इस उपलब्धि ने बिहार के छोटे से जिले को गौरवान्वित किया.

IAS Archana Kumari Husband: आईएएस अर्चना कुमारी के पति

अर्चना की निजी जिंदगी भी चर्चा में रही, जब उन्होंने मध्य प्रदेश कैडर के भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी विवेक सिंह से शादी की. विवेक ने भी UPSC 2020 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 34वीं रैंक प्राप्त की थी. इस तरह, बिहार की यह IAS बेटी मध्य प्रदेश की बहू बनीं.

दोनों की मुलाकात UPSC की तैयारी के दौरान हुई, जहां उनकी समान सोच और लक्ष्य ने उन्हें करीब लाया. यह जोड़ी न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि अपने प्रोफेशन के माध्यम से युवाओं को काफी प्रेरित भी कर रहे हैं. दोनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी एक्टिव हैं.

विवेक आईएफएस ऑफिसर

अर्चना और विवेक की कहानी युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो दर्शाती है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. अर्चना ने अपनी पढ़ाई और तैयारी के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. दूसरी ओर, विवेक की उपलब्धि भी कम प्रेरक नहीं है, जिन्होंने वन सेवा में अपनी जगह बनाई.

यह कहानी सिर्फ दो व्यक्तियों की सफलता की नहीं, बल्कि उनकी मेहनत, अनुशासन और एक-दूसरे के प्रति समर्थन की भी है. अर्चना और विवेक आज न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय हैं. उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है.

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