Success Story: देश की पहली महिला पैरा कमांडो बनी हरियाणा की शेरनी, हिम्मत और जूनून से रचा इतिहास!

Success Story: पायल छाबड़ा हरियाणा की पहली महिला पैरा कमांडो हैं, जिन्होंने मेहनत और हिम्मत से हर चुनौती को पार किया. मेडिकल की पढ़ाई के बाद कठिन प्रशिक्षण हासिल कर उन्होंने साबित किया कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बस इरादे मजबूत होने चाहिए, आज इस लेख में हम आपको बताएंगे उनकी सफलता की कहानी.

By Pushpanjali | May 29, 2025 7:37 AM
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Success Story: भारतीय सेना में शामिल होना हर जवान का सपना होता है, लेकिन भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज यानी पैरा कमांडो बनना किसी चुने हुए का मुकाम होता है. पैरा कमांडो वे बहादुर जवान होते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए सबसे खतरनाक मिशनों को अंजाम देते हैं. यह चुनौतियों से भरा सफर पुरुषों के साथ-साथ अब महिलाओं के लिए भी खुल चुका है. ऐसे में हरियाणा की मेजर पायल छाबड़ा ने इतिहास रचते हुए देश की पहली महिला पैरा कमांडो बनकर एक मिसाल कायम की है.

मेडिकल की पढ़ाई से कमांडो बनने तक का सफर

पायल छाबड़ा हरियाणा के कैथल की रहने वाली हैं. उनके पास एमबीबीएस और एमएस सर्जरी की डिग्री है. मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह करनाल के कल्पना चावला सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर के पद पर काम कर रही थीं. लेकिन देश की सेवा का जुनून उन्हें पैरा कमांडो बनने के लिए प्रेरित करता रहा. इस खतरनाक और कठिन रास्ते पर उन्होंने कदम रखा और पैरा कमांडो की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया.

कठोर प्रशिक्षण और साहसिक प्रयास

पायल ने पैरा कमांडो बनने के लिए आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल में कड़ी मेहनत और अनुशासन के साथ प्रशिक्षण लिया. उनकी ट्रेनिंग हर दिन सुबह तीन से चार बजे शुरू होती थी. उन्हें 25 किलो वजन के साथ 40 किलोमीटर दौड़ पूरी करनी होती थी और साथ ही कई अन्य चुनौतीपूर्ण टास्क पूरे करने पड़ते थे. इस कठिन प्रशिक्षण को पूरा करना आसान नहीं था, लेकिन देश सेवा का जज्बा पायल के लिए सबसे बड़ी ताकत था.

सेवा में उत्कृष्टता और देश के लिए समर्पण

पायल छाबड़ा ने 2021 में आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में कैप्टन के तौर पर अपनी पहली नियुक्ति पाई. वर्तमान में वह लेह, लद्दाख के आर्मी हॉस्पिटल में विशेषज्ञ सर्जन के पद पर तैनात हैं. उन्होंने देश के सबसे ऊंचे खरदुंगला मोटर बाइपास पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. एमबीबीएस डॉक्टर होने के बावजूद भी पैरा कमांडो की परीक्षा पास कर पायल ने साबित कर दिया कि साहस और समर्पण से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.

पायल छाबड़ा का नाम अब न केवल हरियाणा या भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी सम्मान के साथ लिया जाता है. उनकी यह सफलता देश की महिलाओं को भी नई उड़ान भरने की प्रेरणा दे रही है.

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