कौन हैं आईएएस अनुदीप डुरीशेट्टी? (UPSC Success Story of Anudeep Durishetty)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुदीप दुरीशेट्टी एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं. उन्होंने 2017 में UPSC CSE में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 1 हासिल की. उन्होंने 2017 में अपने पांचवें प्रयास में UPSC CSE पास किया. इससे पहले अनुदीप दुरीशेट्टी ने स्नातक की पढ़ाई के बाद गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की लेकिन उनका सपना था सिविल सेवक बनना, इसलिए उन्होंने अच्छी नौकरी छोड़ दी.
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2012 में पहली बार दी थी परीक्षा (Success Story of Anudeep Durishetty in Hindi)
अनुदीप (Anudeep Durishetty) ने पहली बार UPSC की परीक्षा 2012 में दी लेकिन सफल नहीं हुए. अगले साल 2013 में दोबारा कोशिश की और भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में चयनित हुए. इसके बाद उन्होंने सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग में सहायक आयुक्त के रूप में काम किया.
अनुदीप की शिक्षा (Success Story of Anudeep Durishetty in Hindi)
अनुदीप दुरीशेट्टी तेलंगाना के जगत्याल जिले के मेटपल्ली कस्बे के रहने वाले हैं. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई श्री सूर्योदय हाई स्कूल और फिर श्री चैतन्य जूनियर कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने 2011 में राजस्थान के बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में बी.टेक किया.
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कोचिंग नहीं…ऑनलाइन स्टडी मटीरियल पर ध्यान (Anudeep Durishetty in Hindi)
डिग्री के बाद अनुदीप ने गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी शुरू की लेकिन उनका सपना था सिविल सेवा में जाना. इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. खास बात ये रही कि उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि खुद से पढ़ाई की और ऑनलाइन स्टडी मटीरियल की मदद ली.
कई बार असफलता पर नहीं मानी हार (Anudeep Durishetty in Hindi)
अनुदीप दुरीशेट्टी का सपना था IAS अधिकारी बनना. कई बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. 2014 और 2015 में कोशिशें कीं, लेकिन मनचाहा रिजल्ट नहीं मिला. इन मुश्किलों ने उन्हें और मजबूत बना दिया. आखिरकार 2017 में अपने पांचवें प्रयास में उन्होंने बिना कोचिंग के UPSC CSE में पहला स्थान (AIR 1) हासिल कर लिया.
सफलता का राज क्या था? (Success Story of Anudeep Durishetty)
अनुदीप मानते हैं कि उनकी सफलता में उनके परिवार का सबसे बड़ा हाथ रहा. उनके माता-पिता ने उन्हें हर मुश्किल समय में भावनात्मक और आर्थिक रूप से पूरा समर्थन दिया. इसी सहारे से उन्हें पढ़ाई में फोकस करने की ताकत मिली. अनुदीप खुलकर कहते हैं कि जो भी वे आज हैं तो उसमें उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है.
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