Success Story: पिता लगाते थे चाट-पकौड़े का ठेला, बेटी ने पहना IAS अधिकारी का बैज

Success Story: चाट-पकौड़ी का ठेला लगाने वाले पिता की बेटी दीपेश कुमारी ने UPSC में 93वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बन सबका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. संघर्ष से भरी यह कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है.

By Pushpanjali | July 21, 2025 9:38 AM
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Success Story: जब हालात साथ न दें, तब हौसले रास्ता बनाते हैं. जब जेब खाली हो, लेकिन आंखों में सपना चमक रहा हो, तब ही लिखी जाती है वो कहानी जो इतिहास बन जाती है. ऐसी ही कहानी है भरतपुर की बेटी दीपेश कुमारी की, जिनके पिता चाट-पकौड़ी का ठेला लगाकर सात लोगों का परिवार चलाते रहे — और उसी ठेले से उठी एक चिंगारी आज देश की सेवा में IAS अधिकारी बनकर जल रही है. दीपेश की सफलता यह साबित करती है कि मंजिल उन लोगों को ही मिलती है, जिनके इरादों में दम होता है और संघर्षों से लड़ने का जज्बा. भूख, अभाव और तंगी को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC को न सिर्फ पास किया, बल्कि 93वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बन गईं.

25 साल से लगाते थे चाट का ठेला, फिर भी पढ़ाई में नहीं आने दी कमी

दीपेश कुमारी के पिता पिछले ढाई दशक से भरतपुर की गलियों में भजिया और पकौड़ी का ठेला लगाकर परिवार चला रहे हैं. सात सदस्यों वाले इस परिवार के लिए एक छोटे से घर में गुजारा करना भी चुनौती से कम नहीं था. बावजूद इसके, उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कभी कोई समझौता नहीं किया.

बचपन से थी होशियार, 10वीं में मिले 98% अंक

दीपेश पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल थीं. 10वीं बोर्ड में उन्होंने 98 प्रतिशत अंक हासिल किए और 12वीं में भी 89% नंबर लाए. इसके बाद वह जोधपुर गईं और वहां से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.

IIT मुंबई से की M.Tech, फिर छोड़ी नौकरी

इंजीनियरिंग के बाद उनका चयन IIT मुंबई में एमटेक के लिए हुआ. यहां से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी भी मिल गई. लेकिन दीपेश का सपना कुछ और था — वे सिविल सेवा में जाना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरी ताकत से UPSC की तैयारी शुरू कर दी.

पहले प्रयास में असफलता, फिर भी नहीं टूटा हौसला

पहली बार में सफलता नहीं मिली, लेकिन दीपेश ने हार नहीं मानी. उन्होंने दोबारा मेहनत की, रणनीति बदली और 2021 में UPSC की परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल कर ली. इसी के साथ उनका IAS अधिकारी बनने का सपना साकार हो गया.

आज बनीं लाखों युवाओं की प्रेरणा

आज दीपेश कुमारी न सिर्फ अपने माता-पिता के लिए, बल्कि पूरे भरतपुर और देशभर के युवाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. उनकी कहानी यह सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती.

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