मंदिर से चुराते थे पैसे?
इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या वो बचपन में मंदिर और अपने पिता की दुकान से पैसे चुराया करते थे, तो रवि किशन ने इसे स्वीकार करते हुए कहा, ‘मेरे पापा एक पुजारी थे, साथ ही उनकी दूध की अपनी दुकान भी थी. हर शनिवार को लोग हनुमान जी के माथे पर सिक्के चिपकाते थे. मुझे लगता था हनुमान जी को इससे परेशानी होती होगी, इसलिए जब भी मैं फेरे लेने जाता था तो 5, 10 या 20 पैसे निकाल लेता था.’ इसके अलावा वह दुकान से भी छोटे-मोटे पैसे निकाल लेते थे और उन्हें लगता था कि ये उनका ही घर है, इसलिए ये चोरी नहीं है. लेकिन जब पिता को पता चला, तो उन्हें लेदर के पट्टे से बहुत मार पड़ी थी.
घर से भाग गए थे रवि
अचानक घर छोड़ने का सवाल जब रवि किशन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि एक दिन पिताजी ने मुझे बहुत बुरी तरह मारा था क्योंकि उस वक्त उन्होंने मुझे सीता जी के किरदार में पकड़ लिया था. मुझे लगा अब मेरी जान नहीं बचेगी. तब मेरी मां ने मुझे 500 रुपये दिए और कहा कि तू यहां से भाग जा, वरना आज नहीं बचेगा. वो किसी सपने के लिए नहीं, बल्कि जान बचाने के लिए मुंबई भागे थे. लेकिन आज वो उस दिन के लिए अपने पिता के शुक्रगुजार हैं, क्योंकि उसी डर और भागने की वजह से उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नया मोड़ दिया और आज वो जिस मुकाम पर हैं, वो उसी का नतीजा है.
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