सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती के बेटे नमोशी चक्रवर्ती इस शुक्रवार रिलीज होने वाली फिल्म बैड बॉय से इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत कर रहे हैं. इस फिल्म के निर्देशक राजकुमार संतोषी (Rajkumar Santoshi) हैं. उनकी इस फिल्म और नमोशी पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
बरसात फिल्म में बॉबी देओल और ट्विंकल खन्ना को लांच करने के एक अरसे बाद आप अपनी फिल्म से युवा कलाकारों को लांच करने जा रहे हैं ,इन सालों में क्या बदलाव अपने चुनाव में पाते हैं ?
मैं कहूंगा मेरे लिए अभी भी सबकुछ वैसा ही है. बॉबी और ट्विंकल खन्ना भी अनुशासित, आज्ञाकारी और सीखने के लिए हमेशा तैयार थे. वैसे ही अमरीन और नमोशी भी हैं. सच कहूं तो जब मुझे फिल्म के निर्माता साजिद कुरैशी ने बताया कि नमोशी मिथुन चक्रवर्ती के बेटे हैं. मैंने कहा कि बहुत अच्छी बात है. हम सभी दादा की बहुत इज्जत करते हैं. दादा का हिंदी सिनेमा में योगदान बहुत खास है, लेकिन अगर निमोशी में लगन, अनुशासन और सीखने का जज्बा है, तो ही मैं साथ में काम कर पाऊंगा. मैं उससे मिला और मैं समझ गया लड़का मेहनत करने को तैयार है. सच कहूं तो इंडस्ट्री को अभी नए टैलेंट की जरूरत है, वरना चार पांच स्टार के दम पर पूरी इंडस्ट्री नहीं चल सकती है.
यह एक हल्की – फुल्की रोमांटिक फिल्म है, क्या आपको लगता है मौजूदा दौर के दर्शक इसके लिए तैयार हैं?
हालात का क्या है. वो बदलता रहता है. हमें बनाना वो चाहिए, जो दिल से निकलता है. वरना सभी फ़िल्में एक सी हो जाएंगी. आजकल सभी एक्शन और हिंसा पर ही फ़िल्में बना रहे हैं. हर हीरो के हाथ में तलवार है, खंजर है और कंधे पर दो बंदूके हैं. जितना उठा सकते हैं. उतना उठाए रखते हैं. हमारी देवी दुर्गा जी के दस हाथ हैं, तो उसमें दस हथियार हैं. अभी के हीरो के दो ही हाथों में दस हथियार है.
इस फिल्म की कहानी आपने लिखी है?
निर्माता ने मुझे तेलुगु फिल्म दिखायी थी. कहानी का कांसेप्ट मुझे अच्छा लगा था, जिसके बाद मैं और मेरे राइटर संजीव ने फिल्म की कहानी को लिखा. कॉपी नहीं होनी चाहिए. आप आइडिया से प्रेरणा ले सकते हैं , लेकिन कहानी की मूल आत्मा ओरिजिनल होनी चाहिए. राइट्स लेकर फिल्म बनाने में कोई परेशानी नहीं है. मेरी कई फिल्मों की राइट्स साउथ वालों ने लेकर बनायी है. साउथ की फिल्मों में ओरिजिनालिटी और सेंसिबिल्टी दोनों है, इसलिए वह बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर रही हैं.
नमोशी इस फिल्म से लांच हो रहे हैं , मिथुन का कितना इनपुट था ?
सेट पर एक ही बार वह आए थे, जब नमोशी का पहला दिन शूटिंग का था और मिलकर बस चले गए. कोई दखलंदाजी नहीं. एक्टर ही नहीं, आदमी भी बहुत महान है.
थिएटर के जो हालात हैं, क्या फिल्म को ओटीटी पर रिलीज करना ज़्यादा फायदेमंद नहीं होता था ?
मुझे ओटीटी से परहेज नहीं है, लेकिन ओटीटी भी तो अभी स्टार्स ही मांग रहे हैं,वो भी कहां यंगस्टर्स को सपोर्ट कर रहे हैं. ऐसे में थिएटर में ही फिल्म को रिलीज करने का ऑप्शन बचता है.
आपकी फिल्म गांधी और गोडसे से सभी को बहुत उम्मीद थी , क्या वजह थी जो फिल्म दर्शकों को नहीं पसंद आयी क्या पठान की वजह से आपको दर्शक नहीं मिले?
कंटेंट नहीं,पठान की जो मार्केटिंग थी, वो स्ट्रांग हो गयी थी कि जब प्लान किया था, तो सब ठीक ठाक था, लेकिन रिलीज के कुछ दिनों पहले सबकुछ बदल गया. शाहरुख खान की पिछली फ़िल्में अच्छी नहीं गयी थी और यशराज की फ़िल्में भी दर्शकों ने नकार दी, तो उन्होने सारी एनर्जी मार्केटिंग में ही लगा दी. हमको तो शो ही नहीं मिले ना सुबह का शो था ना नाईट का, दर्शक फिल्म को देख ही नहीं पाए, तो अच्छे बुरे की बात कहां से आती है.
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