फिल्म- जाट
राइटर और डायरेक्टर- गोपीचंद मलिनेनी
कास्ट- सनी देयोल,रणदीप हुड्डा, विनीत कुमार सिंह, रेजिना कैसेंड्रा, सैयामी खेर, आयशा खान, जरीना वहाब, बांधवी श्रीधर, विशिका कोटा, प्रणीता पटनायक, दौलत सुल्ताना, अजय घोष, दयानंद शेट्टी, जगपति बाबू, प्रशांत, राम्या कृष्णन, उपेन्द्र लिमये, मुरली शर्मा
ड्यूरेशन – 2 घंटे 40 मिनट
रेटिंग – 4
Jaat Movie Review: गोपीचंद मलिनेनी की ‘जाट’ एक जबरदस्त एक्शन धमाका है, जो देसी मास सिनेमा का वही पुराना, बेखौफ स्वैग एक बार फिर लौटाता है. सनी देओल अपने फुल बीस्ट मोड में नजर आते हैं, जो बदले, भाईचारे और ताकत की आग में तपती इस कहानी को लीड करते हैं. फिल्म में जहां एक ओर हाई ऑक्टेन डायरेक्शन और पावरफुल डायलॉग्स हैं, वहीं दूसरी ओर रणदीप हुड्डा, विनीत कुमार सिंह, रेजिना कैसेंड्रा और सैयामी खेर जैसे कलाकारों की आग उगलती परफॉर्मेंस इसे और भी दमदार बना देती हैं. जाट सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सीटी-मार एक्शन और इमोशन से भरी वो जंग है, जो अच्छाई और बुराई की लड़ाई को स्टाइल और स्टॉर्म के साथ पेश करती है. ये फिल्म भारतीय एक्शन सिनेमा के असली तेवर को एक बार फिर सलाम करती है.
जाट की कहानी कैसे होती है शुरू
‘जाट’ की कहानी की शुरुआत 2009 के श्रीलंका के जंगली और युद्धग्रस्त इलाकों से होती है, जहां माहौल पहले से ही बारूद की तरह सुलगा हुआ है. इसी पृष्ठभूमि में एंट्री होती है राणातुंगा (रणदीप हुड्डा) की जो एक पूर्व एलटीटीई सदस्य, जिसकी किस्मत उस वक्त करवट लेती है, जब उसे गृहयुद्ध के मलबे के बीच दबा हुआ सोना मिलता है. राणातुंगा श्रीलंकाई सेना के अधिकारियों की बेरहमी से हत्या करता है और सोना भारत में तस्करी के जरिए पहुंचाता है. यहीं से शुरू होता है उसके आतंक और खौफ का दौर. भारत पहुंचकर, वह अपने साथी सोमुलु (विनीत कुमार सिंह) के साथ मिलकर ईस्ट कोस्ट के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में छेद कर, अपराध का ऐसा तांडव रचता है, जो लोगों की जिंदगी को नर्क बना देता है. खून, लालच और भ्रष्टाचार पर टिकी इस क्रिमिनल एम्पायर की कहानी सिर्फ थ्रिल ही नहीं देती, बल्कि दर्शकों को अंदर तक झकझोर देती है.
सनी देओल की एंट्री से सिनेमाघरों में बजती है सीटियां
कहानी में जब एंट्री होती है सनी देओल के किरदार ‘जाट’ की, तब सिनेमा हॉल में एक नई ऊर्जा दौड़ जाती है. एक रहस्यमयी मुसाफिर जो ऊपर से शांत और बेफिक्री भरा लगता है, लेकिन उसके भीतर एक ज्वालामुखी सुलग रहा होता है. सड़क किनारे एक ढाबे पर राणातुंगा के गुर्गों से पहली भिड़ंत ही इस बात का इशारा देती है कि अब आने वाला है तूफान, एक ऐसा तूफान जो अन्याय की जड़ें उखाड़ फेंकेगा.
देसी एक्शन पैकेज है जाट
जाट की चाल-ढाल में ठहराव है, लेकिन जब वो वार करता है तो सीधा दिल और दिमाग दोनों हिला देता है. उसकी ये लड़ाई सिर्फ बदमाशों से नहीं, बल्कि सिस्टम से भी है, और यही बनाता है उसे आम से खास। फिल्म में सनी देओल का किरदार एक तरह से भगवान राम की छवि लिए हुए है, तो राणातुंगा एकदम रावण जैसे लालच, घमंड और हिंसा से भरा है. रामायण की झलकियों को कहानी में ऐसे पिरोया गया है कि एक्शन और इमोशन दोनों का तड़का लग जाता है. जाट सीटी बजाने वाली एंट्री, दमदार डायलॉग्स और धर्म बनाम अधर्म की टक्कर है. एक मसालेदार देसी एक्शन पैकेज, जो सीधे दिल में उतरता है.
इन स्टार्स ने दमदार परफॉर्मेंस से जीता दिल
सनी देओल ने ब्रिगेडियर बलदेव प्रताप सिंह उर्फ जाट के किरदार को जिस अंदाज में पर्दे पर उतारा है, वो वाकई यादगार बन गया है. सनी देओल अपने आइकोनिक अंदाज में लौटे हैं. वहीं रांदीप हुड्डा ने राणातुंगा के किरदार में कमाल कर दिया है. एक ऐसा विलेन जो सिर्फ खून और सत्ता का भूखा नहीं है, बल्कि उसके अंदर एक अजीब सी बेचैनी और पर्सनल दर्द भी छुपा है. विनीत कुमार सिंह ने फिल्म में रानातुंगा के भाई सोमुलु का रोल निभाया है, और क्या कमाल किया है! पहली बार नेगेटिव रोल में नजर आए हैं, लेकिन इतनी खतरनाक और डरावनी परफॉर्मेंस दी है कि देखने वाले थर्रा जाएं.
कैसा है फिल्म का साउंडट्रैक
फिल्म का साउंडट्रैक इसकी कहानी के साथ पूरी तरह मेल खाता है. बैकग्राउंड स्कोर हर इमोशनल मोमेंट को और भी असरदार बना देता है, खासकर टेंशन वाले सीन में म्यूज़िक आपको सीट से बांध देता है. म्यूजिक में देसी टच और मॉडर्न बीट्स का जो कॉम्बिनेशन है, वो कहानी को एक साथ एपिक भी बनाता है और इमोशनली भी कनेक्ट करता है. गाने जरूर कम हैं, लेकिन जो हैं, दिल पर असर छोड़ते हैं.
जाट, सिस्टम की सड़ांध पर एक करारा तमाचा
धुआंधार एक्शन के पीछे ‘जाट’ असल में सिस्टम की सड़ांध पर एक करारा तमाचा है. फिल्म दिखाती है कि कैसे सत्ता, राजनीति और लालच मिलकर आम इंसान की जिंदगी को डर और बेबसी में जकड़ लेते हैं. आम आदमी चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता क्योंकि उसके सामने एक ऐसा सिस्टम खड़ा है जो उसे कुचलने में लगा है. फिल्म की सोशल कमेंट्री ज़ोर से नहीं, लेकिन असरदार ढंग से सामने आती है, जैसे किरदारों की बातों और उनके फैसलों के जरिए. यही बात इसे सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देने वाला अनुभव बना देती है. कहानी में ‘न्याय’ को सिर्फ एक बदले या गोलीबारी की तरह नहीं, बल्कि एक इंसानी और सामाजिक लड़ाई के रूप में दिखाया गया है, जो हर दर्शक के दिल में उतर जाती है.
जाट में कैसी रही स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस
फिल्म में सनी देओल, रणदीप हुड्डा और विनीत कुमार सिंह की दमदार परफॉर्मेंस है. जबरदस्त एक्शन, शानदार सिनेमैटोग्राफी और लेयर्ड स्टोरीटेलिंग की परफेक्ट पैकेजिंग है. कहानी में समाज पर गहरी और जरूरी बात कही गई है, वो भी इस अंदाज में कि आपको एक सेकंड के लिए भी भाषण जैसा नहीं लगेगा. हर सीन में कुछ कहने को है कभी आंखों से, कभी लहजे से, और कभी सिर्फ एक चुप्पी से। हां, कुछ प्लॉट पॉइंट्स पहले से अंदाज़ा लग जाते हैं, लेकिन ये छोटी-सी कमी उस बड़े अनुभव के सामने कहीं नहीं ठहरती जो ये फिल्म देती है. ‘जाट’ एकदम देसी स्टाइल में बनाया गया हाई-ऑक्टेन सिनेमा है , जो ताली भी बजवाता है, सोचने पर भी मजबूर करता है.
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