उदवंतनगर. प्रखंड क्षेत्र के जीरो माइल पर आयोजित सात दिवसीय लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन तपोमूर्ति संत सुंदर राज (यतिराज) महाराज जी ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देने वाली भागवत कथा सुनायी. उन्होंने भगवान कपिल के जन्म की व्याख्या करते हुए बताया कि कर्दम ऋषि के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान ने कपिल के रूप में माता देवहूति के गर्भ से अवतार लिया. उन्होंने कहा कि कपिलावतार में भगवान ने सांख्य योग का उपदेश दिया, जिसमें 24 प्रकृति तत्वों को समझाया गया है. इनमें पंच महाभूत (आग, पानी, मिट्टी, वायु और आकाश), पंच विषय (शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श), पंच ज्ञानेन्द्रियां (नाक, कान, आंख, जीभ और त्वचा), पंच कर्मेंद्रियां (हाथ, पैर, वाणी, मलमार्ग और मूत्रमार्ग) तथा अंत:करण चतुष्टय (मन, बुद्धि, चित और अहंकार) शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी तत्वों के माध्यम से जब विधिपूर्वक सरल भक्ति की उपासना की जाती है, तो भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्रदान करते हैं. स्वामी जी ने कहा कि परमात्मा तत्व इन सभी प्रकृति तत्वों से परे होता है और भक्ति के माध्यम से ही उसकी प्राप्ति संभव है. भक्ति में इंद्रियों का संयम, उपासना में त्याग और त्याग से शांति मिलती है, जिससे जीवन धन्य हो जाता है. उन्होंने उत्तरा के गर्भस्थ शिशु की रक्षा, महाराज परीक्षित के जन्म, कलियुग के आगमन और धर्म के ह्रास की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन कर श्रोताओं को अध्यात्म रस में सराबोर कर दिया. इस मौके पर त्रिदंडी देव धाम राधाकृष्ण मंदिर के महंत व यज्ञ के संयोजक ज्योति नारायणाचार्य, रंगनाथाचार्य त्रिदंडी स्वामी बक्सर, करुण सिंह, अरविंद सिंह, उमेश राय, जितेंद्र राय, डब्ल्यू सिंह, कमेंद्र सिंह, रणजीत सिंह समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे.
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