आरा. शहर की स्वच्छता के प्रति जिला प्रशासन व नगर निगम प्रशासन गंभीर नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण कराया जाता है. स्मार्ट सिटी की कल्पना की गयी है, पर स्मार्ट सिटी की सूची से शहर पहले ही निकल चुका है. अब सामान्य स्वच्छता में भी स्थिति खस्ता हाल है.
स्वच्छता के प्रति जागरूक की कमी
नहीं चलाया जाता है जागरूकता अभियान
स्वच्छता को लेकर नगर निगम द्वारा जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है. नगरवासी यत्र तत्र कचरा फेंक देते हैं. वहीं निगम द्वारा जगह-जगह पर डस्टबिन की भी व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में नहीं की गई है. कचरे का उठाव सही समय पर नहीं होता है. हालत यह है कि सफाई कर्मी सड़कों की सफाई कर छोड़ देते हैं. मोहल्ला की गलियों की भी सफाई कर छोड़ देते हैं. जबकि कचरे का उठाया करने वाले कर्मी कचरे का उठाव नहीं करते हैं. हालात यह हो जाता है कि कचरा फिर से सड़कों पर पसर जाता है या फिर नालियों में पसर जाता है. इससे सड़कों पर एवं नालियों में गंदगी पसरी रहती है. स्वच्छता को लेकर लोगों में जागरूकता अभियान के तहत बैनर पोस्टर गोष्ठी एवं जाने-माने लोगों द्वारा अपील की व्यवस्था नगर निगम द्वारा नहीं की जाती है. लोगों को इस मामले को लेकर शिक्षित नहीं किया जाता है. स्वच्छता के लाभ के बारे में नहीं बताया जाता है. इस कारण शहर स्वच्छता के मामले में काफी पिछड़ा रहता है. स्वच्छता की रैंकिंग में यह काफी निचले स्तर पर रहता है.दुकानदारों द्वारा सड़कों पर फेंक दिये जाते हैं कचरा
सड़कों किनारे ठेला आदि के माध्यम से खाने पीने की सामानों सब्जी आदि की बिक्री करने वाले दुकानदार कचरे को सड़कों के किनारे ही फेंक देते हैं. इससे गंदगी फैली रहती है. सार्वजनिक शौचालय की सफाई नहीं होती है सफाई को लेकर एक तरफ लोगों में जागरूकता का काफी अभाव है. वहीं दूसरी तरफ निगम प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा भी सफाई सही ढंग से नहीं कराया जाता है.
सर्वे में 10,000 अंकों का होगा स्कोर
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