बखरी. बखरी में नवीन शिक्षा के सृजनकर्ता, सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्र के प्रेरक व्यक्तित्व व गुरुजी के नाम से चर्चित शिक्षाविद विष्णुदेव मालाकार की पांचवीं पुण्यतिथि बखरी नगर परिषद के वार्ड नंबर 14 स्थित मालाकार जी आवास पर मनाई गई. स्व मालाकार के चित्र पर आगत अतिथि अंदौर कॉलेज के सेवानिवृत्त हिंदी के विद्वान प्रो व साहित्यकार डॉ रवींद्र राकेश,बखरी के पूर्व डीएसपी एवं जनसुराज के भावी प्रत्याशी रामचंद्र राम,हिंदी के विद्वान शिक्षक राजीव नंदन के द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत हुई. तदुपरांत स्व मालाकार के जीवन के प्रियापात्र विद्यारंभ करने वाले नौनिहालों के बीच पठन-पाठन सामग्री का वितरण किया गया.श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए साहित्यकार व सेवानिवृत्त प्रो डा रवींद्र राकेश ने कहा कि विष्णुदेव मालाकार जैसे शख्सियत मरते नहीं,अमर होते हैं. अभाव को अपनी ताकत बनाकर हीरे की तरह चमकना शिक्षाविद विष्णुदेव मालाकार से सीखने की जरूरत है. वहीं पूर्व डीएसपी रामचंद्र राम ने कहा कि विष्णुदेव मालाकार बेदाग व्यक्तित्व के स्वच्छ राजनीतिज्ञ व प्रेरक सामाजिक कार्यकर्ता थे. समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के बारे में भी सोचने वाले मालाकार जी अपनी प्रखर शैक्षणिक प्रतिभा के बल पर बखरी के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षर में अमिट रूप से अंकित किए हैं,जो सदा अनुकरणीय एवं प्रेरक रहेगा.वही शिक्षक राजीव नंदन ने स्वर्गीय मालाकार जी के साथ बिताए हुए क्षणों को याद करते हुए कहा कि वह जिंदा व्यक्तित्व के धनी थे.जिस किसी भी कार्य की आशा क्षीण हो जाती थी. वहां वे अपनी प्रखर बुद्धि के बल पर न सिर्फ आशा जीवंत करते थे. बल्कि उसे कार्य में सफलता भी प्राप्त करते थे. कार्यक्रम को भाजयुमों के प्रदेश महामंत्री नीरज नवीन,वरिष्ठ शिक्षक रामनंदन अज्ञानी,प्रधानाध्यापक प्रमोद केसरी,हम के राष्ट्रीय नेता सुभाष परमार,अर्जक समाज के धर्मेंद्र कुमार, कानू विकास संघ के संजीत साह,बखरी विकास क्लब के सचिव गौरव टिवड़ेवाल आदि ने भी संबोधित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया.कार्यक्रम के अंत में श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय बखरी के पूर्व अध्यक्ष व शिक्षक पुत्र कौशल किशोर क्रांति ने अतिथियों को अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया.मौके पर आंगनबाड़ी सेविका पूनम देवी,राकेश मालाकार,कुशाग्र कुंजन,कृतिका किमी,राजेश मालाकार आदि सहित सैंकड़ों की संख्या पाठ्य पुस्तक प्राप्त करने वाले छोटे-छोटे बच्चे मौजूद थे.
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