बेतिया/बगहा. ठकराहा थाना के राजकुमार हत्याकांड मामले में पुलिस की भारी लापरवाही कोर्ट में उजागर हुई है. कोर्ट की ओर से कई बार वारंट और गिरफ्तारी का आदेश निर्गत होने के बाद भी मामले के अनुसंधानकर्ता तत्कालीन भितहां थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, दारोगा सखीचंद साह व बगहा अस्पताल के चिकित्सक डॉ आरपी सिंह हाजिर नहीं हुए हैं. मामले में जिला जज चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अभियोजन को अंतिम अवसर दिया है. कहा है कि यदि नौ जुलाई को उपरोक्त साक्षी हाजिर नहीं कराये जाते हैं तो सम्पूर्ण मामले से गृह सचिव पटना एवं पुलिस महानिदेशक पटना को विधि सम्मत कार्यवाही के लिए अवगत कराई जाएगी. मामला वर्ष 2007 में ठकराहां थाना के जिनगही में हुए राजकुमार की हत्या से संबंधित हैं. मामले में राजकुमार के पिता लालजी गोंड ने राजेश चौधरी एवं अनिल चौधरी के विरूद्ध हत्या का मामला दर्ज कराया था. इस मामले में अब तक कुल 17 साक्षियों मे से 13 साक्षियों का साक्ष्य कोर्ट में हो चुका है. पिछले बारह वर्षों में केस के अनुसंधानकर्ता, डॉक्टर (सरकारी साक्षी) सहित सूचक का साक्ष्य नहीं हो पाया है. अभियोजन पक्ष का तर्क है कि दारोगा विनोद कुमार सिंह एवं सखीचन्द साह का यहां से स्थानांतरण हो चुका है. इन दोनों के साथ-साथ डॉ आरपी सिंह व लालजी गौड़ के खिलाफ 2018 से ही गैर जमानतीय वारंट जारी है. गिरफ्तारी का आदेश भी दिया जा चुका है. अभियोजन ने साक्ष्य के लिए एक और अवसर की मांग की. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन की मांग पर 16 जून और 24 जून का दो अवसर दिया जा चुका है, लेकिन उक्त साक्षी कोर्ट में हाजिर नहीं कराये गये. जिला अभियोजन कार्यालय एवं त्वरित विचारण प्रभारी, पुलिस पदाधिकारी की उदासीनता का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है कि जिले के पुलिस पदाधिकारी को यह नहीं पता है कि उनके पूर्व के सरकारी साक्षी, अनुसंधानकर्ता एवं डॉक्टर कहां पदस्थापित है तथा वें इस हत्या जैसे जघन्य अपराध में साक्ष्य देने हेतु गैर जमानतीय वारंट निर्गत होने के बावजूद न्यायालय में क्यों उपस्थापन नहीं करा पा रहे हैं? कोर्ट ने 9 जुलाई को अंतिम अवसर दिया है.
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